अहमदाबाद से दांडी की ‘गांधी विचार यात्रा’ Gandhi Vichar Yatra By Delhi Public Library

इन दिनों राष्ट्र महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती मनाई जा रही है। 2 अक्टूबर 2018 से 2019 तक वर्ष भर चलने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला में पिछले दिनों दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार) के सौजन्य से ‘गांधी विचार यात्रा’ का आयोजन किया गया। दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी बोर्ड के अध्यक्ष डा. रामशरण गौड़ के नेतृत्व में 30 साहित्यकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का एक दल ‘गांधी विचार यात्रा’ में भाग लेने के लिए वायु मार्ग से अहमदाबाद पहुंचा। सभी के आवास की व्यवस्था गुजरात विद्यापीठ में की गई थी।



हमारा अगला कार्यक्रम दांड़ी पथ पर चलना था। ज्ञातव्य है कि महात्मा गांधी ने 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से दांडी मार्च की शुरुआत की थी। 24 दिन तक चली इस यात्रा में हजारों लोगों ने भाग लेकर नमक कानून तोड़ा। अंग्रेज सरकार ने हजारों सत्याग्रहियों को जेल में डाल दिया गया था। इस सत्याग्रह ने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव को हिला दिया था। तभी तो मार्टिन लूथर किंग जूनियर और जेम्स बेवल जैसे दिग्गजों ने इस आंदोलन को स्वयं के लिए प्रेरक बताया था।
अगली सुबह ‘दांड़ी पथ’ पर्यटन संस्थान की टीम के साथ यह दल अहमदाबाद से दांड़ी रवाना हुआ। 380 किमी के इस मार्ग पर हम उन सभी 21 स्थानों पर गये जहां गांधी जी रूके थे। ये स्थान हैं -साबरमती आश्रम, अलाल, नवगाम, नादिआड, मतार, आनंद, बारसाद, कनकपुरा, करेली, अनखल, अमोड, समीन, देरोल, अंकलेश्वर, मंगरोल, उमरछट, भक्तम, देलाद, सूरत, वांज, नवसारी, मतवाट, दांड़ी। हर स्थान पर विशेष विश्राम केन्द्र बनाये गये हैं। हर केन्द्र का न केवल डिजाइन समान है, बल्कि कमरों में रखा सामान यथा आलमारी, कुुर्सियां, पंलग भी बिल्कुल एक जैसे हैं। हर पड़ाव पर हमारा परम्परागत गांधीवादी तरीके से स्वागत किया गया। सभी को खादी की माला पहनाई गई तो कुछ स्थानों पर फूल भी भेंट किये गये। एक रात हमने ठीक उसी वांज गांव के विश्राम केन्द्र में बिताई जहां गांधीजी भी रुके थे। यहां रात्रि सभा और विश्राम के बाद वेे कराडी होते हुए दांडी पहुंचे थे।
दांडी अरब सागर के तट पर स्थित गुजरात के नवसारी जिले का एक गांव है। उस समय गांधी जी कुुछ दिन वोहरा सम्प्रदाय के धर्मगुरु यहां स्थित सैफी हाउस में रूके थे। इस परिसर में एक ओर केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यू डी) द्वारा संग्रहालय का निर्माण कार्य चल रहा है। तो बीच में हरे-भरे पार्क में संगमर्मर की ऊंची पट्टिका बनी हुई है, जिसपर ऐतिहासिक दांडी मार्च के बारे में जानकारी दी गई है। उससे कुछ दूरी पर काले रंग से पेंट की हुई गांधी जी की नमक उठाने की मुद्रा में मूर्ति है। यहां आने वाले पर्यटक इस स्मारक के साथ चित्र लेना नहीं भूलते।

दांडी स्मारक के बिल्कुल सामने सामाजिक कार्यकर्ता श्री धीरू भाई पटेल ‘प्रेरणा मंदिर’ के रूप में एक विद्यालय संचालित करते हैं। इस आवासीय विद्यालय में अलग से कन्या छात्रावास भी है। विद्यालय में आयोजित एक प्रार्थना सभा में हमारे दल ने भी भाग लिया। छात्रों ने गांधी जी के प्रिय भजन के बाद ‘हम होंगे कामयाब एक दिन’ गीत प्रस्तुत किया। हमारे दलनायक डा. रामशरण गौड़ ने सभी छात्रों को उपहार और मिठाई वितरित करने के लिए विद्यालय के प्रधानाचार्य को राशि भेंट की।
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गांधी पुत्र रामदास के पुत्र कनु लाठी खींचते हुए |

गांधी जी की साद्यशती के अवसर पर आयोजित इस यात्रा में गये लेखकों, साहित्यकारों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए एक विशिष्ट अनुभव रहा जिसमें उन्होंने न केवल गांधी दर्शन को निकट से समझा बल्कि बस यात्रा के दौरान सभी ने परिचर्चा, अंत्याक्षरी, कविता प्रतियोगिता, कवि संगोष्ठी में सहभागिता की। इस विचार यात्रा में शामिल दिल्ली के पूर्व महापौर और प्रसिद्ध हिंदीसेवी श्री महेशचन्द्र शर्मा और विधानसभा के सदस्य रह चुके श्री गौरीशंकर भारद्वाज की चुस्ती, फुर्ती और गजब की स्मरण शक्ति ने सभी को बहुत प्रभावित किया। प्रतियोगिता निर्णायक की भूमिका का निर्वहन प्रसिद्ध हिंदीसेवी श्री महेशचन्द गुप्त ने किया। श्री देवेन्द्र वशिष्ट केे सुमुधर कंठ से निकले भजनों ने आमतौर पर थका देने वाली बस यात्रा को आनंद से सराबोर कर दिया। यूं तो काव्य के विभिन्न रसों का रसास्वादन करने का अवसर मिला परंतु कालिंदी कालेज की पूर्व प्राचार्या डा. मालती की कविता ‘मौन का कोलाहल’ तथा श्री नरेश शान्डिल्य के गीत ‘राम मंदिर’ का एक-एक शब्द विचारोत्तेजक और रोमांचित करने वाला था।
गांवों के संकरे रास्तो से होते हुए दांड़ी तक हर क्षण हमे जानकारी देने वाले दांडी पथ यात्रा आयोजक संस्था के श्री पटेल और सुश्री का व्यवहार अपने परिवार के सदस्यों की तरह रहा। सभी का हर तरह से ध्यान रखते हुए इस यात्रा को यादगार बनाने वाले दल नायक डॉ. रामशरण गौड़ जी जहां अपने कर्मठता में युवकों को भी मात देते नजर आये वहीं उनकी विद्वता और अनुभव का लाभ भी सभी को प्राप्त हुआ। उन्होंने सम्पूर्ण दल को सफल, संतुष्टि और सुमंगल प्रदान करने वाले अनेक जीवन सूत्रों से जोड़ा। यह उनकी विनम्रता ही है कि यात्रा के सहयोगियों ही नहीं सहयात्रियों का मनोबल बढ़ाने के लिए उनकी प्रशंसा करने में कहीं किसी मितव्ययता का प्रदर्शन नहीं किया। संक्षेप में कहा जाये तो यह गांधी विचार यात्रा भारतीय दर्शन से प्रत्यक्ष साक्षात्कार का अनूठा अनुभव रही जिसके लिए दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी बोर्ड अभिनन्दन का पात्र है।
-विनोद बब्बर ( Contact 9868211911 rashtrakinkar@gmail.com)
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