अपराधी को सजा न देना भी अपराध--डा विनोद बब्बर


भारतीय गणतंत्र के 62 वर्ष पूरे होने वाले हैं। विश्व का सबसे बड़ा गणतंत्र राष्ट्र कहलाने वाले हमारे इस देश की स्वतंत्रता व गणतंत्रता, हमारे महानायकों का स्वप्न था, जिसे उन्होंने अपने प्राण-प्रएा से हमारे लिए यथार्थ में परिवर्तित कर दिया। 
चाहे वैधानिक स्वतंत्रता हो या फिर वैचारिक स्वतंत्रता, या फिर हो सामाजिक और धार्मिक स्वतंत्रता, आज हम हर तरह से स्वतंत्र हैं। पर क्या सचमुच हम स्वतंत्र हैं? क्या हमारी गणतंत्रता हमें गणतंत्र राष्ट्र का स्वतंत्र नागरिक कहलाने के लिए काफी है? ये सवाल हर भारतीय के मन-मस्तिष्क में गूँजता ही होगा। अनेक चुनौतियों के बाबजूद  हम निरंतर विकास की ओर अग्रसर हैं। ऐसी कुछ चुनौतियों   हैं, जो हमारे स्वाभिमान और विकास के मार्ग में गड्ढे की तरह हैं पर विचार का भी यह उचित अवसर है। गणतत्र दिवस पर पाकिस्तानी सेना द्वारा हमारे जवानों कें साथ की गई बर्बरता के विरूद्ध जनता के गुस्से और गणतंत्र में तंत्रप्रमुख के प्रथम कर्तव्य पर चर्चा करना सामयिक होगा। मनु स्मृति के अनुसार- ं
सर्वतो धर्मः षड्भागो राज्ञो भवति रक्षतः। अधर्मादपि षड्भागो भवत्यस्य हयऽरक्षतः।। अर्थात् जो राजा या राज्य प्रमुख अपनी प्रजा की रक्षा करता उसे समग्र प्रजा के पुण्य का उठा भाग प्राप्त होता है और जो ऐसा नहीं करता उसे प्रजा के पापों का छठा भाग दंड के रूप में प्राप्त होता है। यह भी स्मरणीय है कि स्वयं पाप न करना ही धर्म का परिचायक नहीं है वरन् जिस पाप को रोकना संभव है उसका प्रतिकार न करना भी अधर्म है। मनुष्य को प्रकृति ने हाथ पांव, वाणी, तथा आंखें दी हैं और उसके साथ ही बुद्धि भी प्रदान की है। अगर कोई ऐसा नहीं करता तो गलती पर है। यह उदासीनता अधर्म का ही एक बहुत बड़ा भाग है। इस परिप्रेक्ष्य में देखे तो भारत-पाक सीमा पर पुंछ में नियंत्रण रेखा के निकट बीते दिनों पाक सैनिकों के हमले में  राजपूताना राइफल्स के लांस नायक सुधाकर सिंह और लांस नायक हेमराज के शहीद होने की घटना पर सारा देश क्षुब्ध होना उचित है। उनके साथी जवानों द्वारा खाना-पीना छोड़ अपने आक्रोश को प्रकट करना और यूनिट के कमांडिंग अफसर द्वारा उन्हें बामुश्किल समझाना इस बात का संकेत है कि हमारे शासन प्रमुख कहीं अपने कर्तव्य में चूक रहे हैं। 
यह देश की जनता के दर्द पर  मरहम लगाने वाला समाचार है कि स्वयं सेनाध्यक्ष ने बेहद तल्ख लहजे में पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा, ‘पाक सेना की यह हरकत माफी के लायक नहीं है। अब नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम टूटा तो हम उसी अंदाज में जवाब देंगे।’  उनके अनुसार  पाकिस्तान की ओर से किया गया हमला पूरी तरह सुनियोजित था। जो उन्होंने किया है वह सैन्य परम्परा के विरुद्ध है। शव को क्षत-विक्षत करना भयानक और अक्षम्य कृत्य है।
संघर्ष विराम की अनदेखी और नियंत्रण रेखा का उल्लंघन कर पाकिस्तानी सेना ने पहले बर्बरता की हद पार की और अब इस्लामाबाद न सिर्प उस घटना से पल्ला झाड़ने की कोशिश में लगा है बल्कि संयुक्त राष्ट्र से जांच कराने का दांव चलकर मामले के अंतर्राष्ट्रीयकरण की पुरानी आदत का भी परिचय दे रहा है। पाकिस्तान के साथ क्रिकेट श्रृंखला खत्म होने के तत्काल बाद और वीजा नीति को व्यापक और आसान बनाने की पृष्ठभूमि में सीमा पार से हुई यह बर्बरता बेशक नई नहीं है, इससे पहले दिल्ली-लाहौर बस सेवा शुरू करने के बाद कारगिल हुआ था। यह समाचार भी है कि बौखलाए पाकिस्तान ने वापस अपनी सीमा में जाते ही सैन्य गतिविधियां तेज कर दी हैं। पहले से खाली कराए जा रहे सीमावर्ती इलाके में पाक सेना ने तोपें तोपें भी तैनात कर दी हैं और अतिरिक्त सेना लगाई जा रही है।
भारतीय सेना अपने अनुशासन के लिए दुनियाभर में जानी जाती है। लेकिन जवानों के आक्रोश को अत्यंत गम्भीरता से देखने की आवश्यकता है। सेना के पूर्व अध्यक्ष जनरल वीके सिंहने इसे सेना के इतिहास में यह बड़ा गम्भीर और संवेदनशील मामला कहा है। उनके अनुसार- जरूरत इस बात की है कि सेना के जवानों का टूटा भरोसा और मनोबल फिर से जोड़ा जाए, बढ़ाया जाए। इसके लिए जरूरी है कि भारत सरकार अब पाकिस्तानी रवैए के खिलाफ ढुलमुल रणनीति को तुरन्त बदले। दूसरी ओर पश्चाताप तो दूर पाकिस्तानी अफसर हत्यारे मुजाहिद रेजिमेंट की पीठ ठोंक रहे हैं। भारतीय सैन्य खुफिया ब्यूरो (एमआईबी) के फोन इंटरसेप्ट करने से इसका खुलासा हुआ। एमआईबी की रिपोर्ट फोन इंटरसेप्ट के जरिए उनकी बातचीत से यह खुलासा भी करती है कि यह खबर जैसे ही मीडिया में आई, पाकिस्तानी फौज की तमाम रेजिमेंटों से 653 मुजाहिद रेजिमेंट की टुकड़ी को शाबाशी संदेश मिलने शुरू हो गए। 
संसद में विपक्ष की नेता ने बदले में दस सिर लाकर देश की जनता के आक्रोश को शांत करने की मांग की है जबकि केद्रीय मंत्री इस मांग को उग्र राष्ट्रवाद घोषित करते हुए  इसे गैर जरूरी मान रहे हैं। उनका कहना है कि कोई भी फैसला सरकार द्वारा लिया जाएगा न कि अधिकारियों अथवा मीडिया द्वारा।  बढ़ते जनाक्रोश को देखते हुए सेना दिवस समारोह के बाद प्रधानमंत्री जी भी चुप्पी तोड़ने को विवश हुए। उन्होंने कहा कि इस बर्बर हरकत के बाद पाकिस्तान के साथ सब कुछ सामान्य नहीं चल सकता। घटना में दो भारतीय सैनिकों की पाकिस्तानी सैनिकों ने हत्या करके एक का शव क्षत विक्षत कर दिया था। भारत को आज से बहुप्रतीक्षित आगमन पर वीजा की सुविधा शुरू करनी थी जो पाक के वरिष्ठ नागरिकों के लिए थी लेकिन इस पर फिलहाल अनिश्चित काल के लिए रोक लगा दी गयी है। यह सुविधा उन लोगों को मिलने वाली थी जो 65 साल से अधिक आयु के हैं और अटारी वाघा  सीमा के रास्ते चलकर भारत आते। अब यह स्पष्ट हो चुका है कि पाकिस्तान सुधरने वाला नहीं है। वह भारत की हर सद्भावना को उसकी कमजोरी मानता है। ऐसे में उससे किसी भी प्रकार की वार्ता केवल समय की बर्बादी है। आज यदि देश में पाकिस्तान के प्रति उपजे आक्रोश के बीच उसे सबक सिखाने की आवाज उठ रही है तो उसका एक कारण आम जनता को हो रहा यह आभास है कि भारत सरकार पाकिस्तान पर पर्याप्त दबाव बनाने में सक्षम नहीं। इसलिए पाकिस्तान को यह संदेश देने की सख्त जरूरत है कि उसकी बार-बार उकसावे वाली हरकतों के रहते शांति के लिए वार्ता करना भारत की मजबूरी नहीं। आखिर हम कब तक  अपमानित होकर उसके साथ वार्ता की मेज पर बैठते रहेगें?
गणतंत्र दिवस के इस अवसर पर हमें निवर्तमान सेनाध्यक्ष के उस पत्र को ध्यान में रखते हुए जिसमें उन्होंने याद दिलाया था कि सेना की तैयारियों में ढिलाई पर सवाल उठाया था, स्वयं को और अधिक सक्षम बनाने की पहल करनी चाहिए। उनके अनुसार, इन सबका कारण खरीद प्रक्रिया में ढिलाई है। संभवतयः ऐसा इसलिए है क्योंकि कोई भी स्वयं पर भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लेना चाहता। देश के नेतृत्व को समझना होगा कि यदि वह स्वयं को पाक-साफ साबित करने के लिए राष्ट्र के हितों और आवश्यकताओं की अनदेखी करेगा तो उसका अपराध भी अक्षम्य ही होगा। ऐसे में उसे दंडित करने की जिम्मेवारी जनता को संभालनी होगी।  शस्त्रों में कहा गया है-
धर्मादयेतं यत्कर्म यद्यपि स्यान्महाफलः। न तत् सेवत मेधावी न तद्धिमिहोच्यते।। अर्थात् ‘इस धर्म का अर्थ बहुत व्यापक है। जहां विद्वान लोग न्याय का समर्थन नहीं करते वह अधर्मी ही कहे जाते हैं।
यत्र धर्माेह्य्मेंण सत्यं यत्रानृतेन च। हन्यते प्रेक्षामाणानां हतास्तत्र सभासदः।। अर्थात् ‘जहां अधर्म को देखते हुए भी सभासद चुप रहते हैं और उसका प्रतिकार नहीं करते वे भी पाप के भागी हैं।’ क्या यह गणतंत्र दिवस हमारे युवा राष्ट्र के बूढ़े कर्णधारों को पाप का भागी न बनने की प्रेरणा देगा?

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