ईमानदारो से सावधान # Beware Of Honests



ईमानदारो से सावधान 
ईमानदारी सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाला शब्द है। शरीफ, गरीब,  असहाय से अधिक यह शब्द सामर्थ्यवानो का सहारा है। लेकिन आज उन्होंने ईमानदारी को बोझ घोषित कर दिया। बहुत खुशी हुई कि आखिर बांझ के बाद अब ईमानदारी बोझ भी साबित कर ही दी गई। जिस ईमानदारी से उन्होंने ईमानदारी को बोझ साबित किया मन है कि उन्हें बधाई दूं। साधुवाद दूं। उनका अभिनन्दन करूं।  लेकिन ईमानदारी की बात यह है कि अपुन शब्दों में वह तेज नहीं जो समझदारो के पास होता है। सच बात तो यह है कि ईमानदारी और समझदारी का बहुत करीब का रिश्ता है। यदि  स्वयं को ईमानदार कहलवाना हो तो जरूरी है कि  कुछ समझदार किस्म के लोगों को झेलने की क्षमता होनी चाहिए।
जब ईमानदारी आसान नहीं है। तो उसका मूल्यांकन आसान कैसे हो सकता है। मूल्यांकन के लिए मूल्यांकनकर्ता चाहिए या नहीं?  मूल्यांकनकर्ता महान किस्म के प्राणी होते हैं। वे शून्य वाले को शिखर दिखा सकते हैं तो शिखर वाले को रसातल तक रपटा सकते हैं। मूल्यांकनकर्ता गंभीर किस्म के प्राणी होते हैं। इसलिए उनके अपने मापदंड होते हैं। यदि आपकी जेब का माप उनके खर्च से बोना है तो निश्चित मानिये कि आप किसी मापदंड के नहीं, केवल दंड के अधिकारी हैं।
जिन्होंने आज ईमानदारी को बोझ घोषित किया। उनके पास ऐसा करने के ठोस कारण हैं। पूूरा रिसर्च है। रिसर्च कोई ऐरा गेरा नहीं कर सकता। उसपर समझदारों का एकाधिकार है। ईमानदारी धोखा खा सकती है पर समझदारी बुलेटप्रुफ हैं। माना जाता है कि युगों युगों से मूल्यांकनकर्ता समझदार ही होते हैं। अब होते हैं या नहीं होते, यह सवाल उठाने के लिए समझदार होने का प्रमाणपत्र होना जरूरी है। जो अपने पास नहीं है। 
वैसे एक रिसर्च स्कालर का दावा है कि समझदारी और ईमानदारी दो भा्रमक शब्द हैं। ये इनका अस्तित्व केवल किताबों और भाषणों में पाया जाता है, धरा पर नहीं। आज के ई युग में ईमानदारी में मान से दारी महत्वपूर्ण है। इसलिए ईमानदारी की बाजार में इतनी वैरायटी है  हैं कि ‘हरि अनन्त की तरह,  ईमानदारी कथा भी अनन्ता।’  
एक वह ईमानदार है जो बेईमानी नहीं करता। पर वह भी ईमानदार है जो स्वयं बेईमान नहीं करता पर अपने साथियों को ऐसा करने की खुली छूट जरूर देता है।  एक ईमानदार वह भी तो उच्च पद पर रहते हुए फटे-पुराने कपड़े पहनता है। तो वह भी जो दिन में कई-कई पोशाके बदलता है। एक  ईमानदार वह जो सबको अमीर तो नहीं बना सका पर सबको गरीब जरूर बना गया। वह भी ईमानदार जिसे काली गाय भैंस दिखाई देती है। ईमानदार वह भी जिसे कालाधन भी दिखाई न दें। अपनो के काले कारनामे उसके सामने अदृश्य रहें। न खाने वाला और न ही खाने देने वाला ईमानदार हो सकता है तो जनाब न पीने वाला और न पिलाने वाला ईमानदार क्यों नहीं हो सकता? 
साहब हमने तो पीने वालो की भी ईमानदारी देखी है। एक ठेके पर बीस-बीस रुपये मिलाकर एक अघ्धा लेने वाले दो लोग आपस में जिस ईमानदारी से बंटवारा कर रहे थे उसके सामने चोरो का बंटवारा भी फेल दिखाई दिया। मिलकर सोमरस की बोतल लेने वालो ने पैन से निशान लगाकर तय किया कि इसके ऊपर का माल तुम्हारा, नीचे का मेरा। ऊपर वाले ने दो लम्बे घूट लगाकर शीशी दूसरे को पकड़ा दी। दूसरे ने जांच की तो पाया कि तरलता का स्तर अभी भी उस निशान से ऊपर है तो उन्होंने सरलता से कहा, ‘मेरे भाई, मैं ईमानदार हूं। मुझे तुम्हारा हिस्सा नहीं चाहिए। एक घूंट और लगाकर अपना हिस्सा गटक लो।’
सुना है चोरो में ईमानदारी सबसे ज्यादा पाई जाती है। ईमानदारी बिन उनका धंधा ज्यादा लम्बा नहीं चल सकता। वे पूरी लग्न और ईमानदारी से पहले अपने काम को अन्जाम देते हैं तो उसके बाद  बंटवारा भी ईमानदारी से करते हैं।
मन है कि पूरी ईमानदारी  के साथ सम्पूर्ण बेईमान बिरादरी का अभिनन्दन किया जाये। बेशक दलाल, कमीशनखोर,  भ्रष्टाचारी, गिरहकट, डाकू, भूमाफिया जैसे शब्द खुद के लिए कोई सुनना नहीं चाहता। लेकिन दिल पर हाथ रखकर कहे कि इनके बिना आपका चल सकता है। एक- एक शब्द बहुत व्यापक और महत्वपूर्ण है। अब ‘दलाल’ को ही लीजिए। जन्म से मरण तक दलाल के बिना दाल गलना मुश्किल है। भूमाफिया की कृपा से ही खेत में प्लाट कटे और बंटे। हमारे जैसा अदना सा आदमी यदि इस महानगर में अपना आशियाना बनाने में सफल हुआ तो उसका श्रेय उन्हें और उनकी पहुंच को  हैं जिसने अनाधिकृत’ से ‘अधिकृत’ तक की विकास यात्रा में अपना अमूल्य नहीं बल्कि बहुमूल्य (पत्नी के जेवर बिके तो कर्ज अब भी बाकी है) योगदान दिया।
इतने तरह के ईमानदार होते हैं कि  केवल ईमानदारी की एक पूरी मंडी सज सकती है। ईमानदारी की बात तो यह भी है कि ईमानदार होने में और ईमानदार दिखने में बहुत अंतर होता है।  ईमानदार होने से ज्यादा  महत्व ईमानदार दिखने का है। इसीलिए लोग खुद तो ईमानदारी की मौका बेमौका माला जपते ही हैं। उनकेे चेले चपाटों भी बुलंद आवाज में अपने बॉस की ‘ईमानदारी चालीसा नहीं पचासा’ गाते हैं।
ईमानदारी ने हमे तो हमेशा ही अभिभूत किया है। एक बार रेल का सफर करते हुए दो ईमानदारों के बीच सीट मिलने का सौभाग्य (?) मिला। वे दोनो मित्र थे या शत्रु मैं यह बात अंत तक तय नहीं कर पाया। एक ने अपना परिचय देते हुए मुझसे कहा, ‘भैया कभी कोई काम हो तो बताना। मैंने कईयो को सरकारी जॉब दिलाया है। किसी भी सरकारी डिपार्टमेंट का कोई भी काम हो, चुटकी बजाते ही हो जायेगा। सारी जिंदगी ईमानदारी से दूसरो की मदद की है। ये मेरा कार्ड रख लो। रात के बारह बजे भी याद करोगे तो बंदा पूरी  ईमानदारी से आपकी सेवा को हाजिर मिलेगा।’
अभी मैं उसका धन्यवाद देने के लिए शब्द ही तलाश रहा था कि दूसरे तरफ से आवाज आई, ‘रहने रे। बड़ा आया ईमानदार की दुम। कल ही दलाली के मामले मे जमानत पर आया है।  आज फिर दलाली शुरू। शर्म से डूब मर।’
‘हां, दलाली करता हूं कोई चोरी डकैती नहीं करता। तेरी तरह मर्डर नहीं करता। दलाली करना पाप नहीं है। जो भी काम लेता हूं, पूरी  ईमानदारी से करता हूं। अगर दो पैसे लगकर घर बैठे किसी का काम हो जाये यह उनकी मदद है, बेईमानी नहीं है। खबरदार जो मेरी  ईमानदारी पर अंगुली उठाई।’ पहला पूरी  ईमानदारी से दहाड़ा।
लेकिन दूसरा भी ईमानदारी के मामले में कम न था। बोला, ‘साले, मर्डर करना मेरा पेशा है। जिसकेे पैसे लेता हूं। पूरी ईमानदारी से काम भी करता र्हूं आज तक तूने कभी शिकायत सुनी हो तो बता कि भाई ने पैसे ले लिये पर काम न किया हो।’
‘अरे रहने दे अपनी अपनी गला काट ईमानदारी को। अगर तू ईमानदार है तो फिर बेईमान कौन? क्या जरूरत है थाने, कोर्ट कचहरी की। तेरे जैसे पच्चीस पचास और हो जाये तो हर जगह ईमानदार राज हो जाये। भाई साहिब आप इसकी बातों में मत आना। अपना रिकार्ड एकदम चकाचक है।’
वे दोनो ईमानदार पूरी ईमानदारी से एक दूसरे की ईमानदारी का गुणगान कर रहे थे। तभी अचानक मेरे ज्ञानचक्षु खुल गये। मेरे ही अंदर से आवाज आई- ‘कभी किसी की ईमानदारी पर प्रश्न चिन्ह मत लगाना। यहां हर आदमी  ईमानदार है। नेता शराब बांट कर  ईमानदार है तो वोटर बढ़िया शराब वाले को ईमानदारी से वोट देकर ईमानदार। 
हम टैक्स की चोरी करके  ईमानदार है तो सरकार टैक्स की दरे ज्यादा रखकर ईमानदार है। इंस्पैक्टर जांच में पूरी ईमानदारी बरतते हैं पर  कई बार ‘शरीफो’ के प्रति अपनापन दिखाना उनकी मजबूरी हो जाते हैं। अपने ऊपर वालों के निर्देशों का ईमानदारी से पालन करना ही पड़ता है।
कोई मौनी बाबा ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करता है इसीलिए तो वह चालीस चोरो के बीच भी अली बाबा दिखाई नहीं देता। मणिक इतने ईमानदार कि लापता विकास की बजाय घुसपैठियो को अंदर भरते रहे। बुआ पत्थरो के प्रति ईमानदार रही पर अफसोस कि भतीजा अपने सगे चाचा के प्रति भी ईमानदार नहीं रहा। सबके ईमानदार प्रयासों का नतीजा है कि सफाई अभियान चालु अहे। 
अध्यापक टयूशन में पूरी ईमानदारी से प्रयास करते हैं। लेकिन छात्र है कि वे ‘ईमानदारी’ से पास होने में विश्वास ही नहीं रखते। डाक्टर गैरजरूरी टैस्ट पूरी ईमानदारी से करवाते हैं तो नर्सिंग होम वाले बिल बनाने से बढ़ाने तक ईमानदार।
हमारे मौहल्ले का सब्जी वाला  पानी छिड़क छिड़क कर सब्जी को ताजा दिखाने की ईमानदार कोशिश में लगा है तो मेन रोड का होटलवाला पिछले सप्ताह की भूतपूर्व ताजी सब्जी को पूरी  ईमानदारी से ताजा जायकेदार बना कर समाज की बहुत बड़ी सेवा कर रहा है। चारा और मफलर ईमानदारी के लेटेस्ट आइकोन हैं।
अरे भाई, इतना भी नहीं समझते कि किसी ईमानदार की गुडविल पर ही तो बैंक उसे लोन देते हैं। जिसकी ईमानदारी जितनी बड़ी, उसे उतना बड़ा लोन। अगर किसी को हजारो करोड़ लोन मिला तो बेईमानों का उसकी ईमानदारी से ईर्ष्या करना कोई आश्चर्य नहीं है। आपको संविधान ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी है। आप ‘चोर चोर’ का शोर मचाये जाओ।
बहुत दुख होता है जब जमाना इन तमाम ईमानदारों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने की बजाय उन्हें ही सवालो के कटघरे में खड़ा करने से बाज नहीं आता। ऐसे में ईमानदारी को बोझ न बताया जाये आखिर और किस तरह से उसे पारिभाषित किया जाये। 
अगर अनुमति दे तो चलते-चलते ईमानदार की इस दुर्दशा का कारण भी बता ही दू। आप जानते ही है ईमानदार का अंग्रेजी पर्याय ओनेस्ट Honest है। ध्यान से देखिये इसका मुखौटा मौन है और ‘ओ’ के संबोधन के बाद nest है। नेस्ट माने घोसला। सब अपने-अपने घोसले में गर्दन घुसैडकर अपने और अपनो को ईमानदारी के सर्टिफिकेट बांटते हैं। ईमानदारी के सारे सर्टिफिकेट अपनो में ही खत्म हो जाये तो गैरो की मेहनत की उपेक्षा आखिर कैसे करे। अब जो बचे हैं उन्हीं सर्टिफिकेटों से काम चलाना मजबूरी है। समझा करो। इसलिए हम पूरी ईमानदारी से आपको बेईमान बतायेगे ओर समझदार मूल्यांकनकर्ता ईमानदारी को बांझ और बोझ।
-- विनोद बब्बर संपर्क-   7982170421, 88009630211vinodbabbar@gmail.com


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