ठिठुरन भरी सर्दी के लाभ
ठिठुरन भरी सर्दी के लाभ
आप जानते ही हैं कि सर्दी सर्दी होती है। इसमें सबको बदलने की शक्ति निहित है। इसकी चपेट से आकर गरम लू भी हार मान शीत हवाओं में बदलने को मजबूर हो जाती है। इसलिए यदि आपकी दिनचर्या में भी कोई बदलाव हो रहा है तो आप उसे अन्यथा न लें।
सर्दी पूर्ण वैज्ञानिक है। विज्ञान के नियम के अनुसार इसके प्रभाव से हर चीज सिकुड़ती है। गर्मी की छुट्टियां दो महीने की मगर सर्दी की छुट्टियां केवल आधे महीने की। गर्मियों में हर पर्यटन स्थल से तीर्थ स्थल पर भारी भीड़ के कारण महंगे होटल सर्दी महारानी की कृपा से सस्ते हो जाते हैं क्योंकि भीड़ सिकुड़ जाती है।
यह सर्दी की शक्ति है कि दिन तक को सिकुडना पड़ता है। महाप्रतापी सूर्यदेव आंख मिचौनी करते को बाध्य होते हैं। सामान्य दिनों में डबल बैड पर अकेले पसर कर सोने वाले भी इन दिनो सिंगल बैड के एक कोने पर सिमटे दिखाई देते हैं। जिस बस या रेल में भारी भीड़ के कारण हमारा दम घुटता है, इन दिनों हम वहां भी मजे में रहते हैं। दम तभी घुटता है जब लोग कम हो। टनाटन-दमादम रहने के लिए हम दो की सीट पर तीन-चार भी सहर्ष स्वीकार करते हैं क्योंकि ऐसा करने से जहां प्रेम और सद्भावना बढ़ती है वहीं सर्दी के बावजूद कृपा बनी रहती है। जहां तिल रखने की जगह नहीं होती वहां तिल के गज्जक की खुश्बू अपने आप जगह बना लेती है।
सर्दी आनंददायक है। अनेक तरह के आनंद सहज उपलब्ध होते हैं। यह सर्दी ही है जब आप मूली या गोभी के परांठों से गाजर के हलवे तक का आनंद आसानी से ले सकते हैं। काजू बादाम, गांेद वाले न सही, गुड़ और अलसी के लड्डू तो बनवा ही सकते हो। खुद न खरीद पाओ तो किसी मित्र या पड़ोसी के घर प्लेट सामने आने पर खजूर, मुंगफली से अपनी पुरानी दुश्मनी निकाली जा सकती है।
सर्दी अनुशासन सिखाती है। अगर विश्वास न हो तो किसी सड़क किनारे खड़े होकर देख लो, पूरे साल हैलमेट न पहनने वाले भी इन दिनों पूर्ण अनुशासित दिखाई देते हैं इसीलिए कई बार भ्रम होता है कि रामलाल है। पर हैलमेट हटाने पर रामकिशोर निकलता है। इसी चक्कर में कई किशोर बिना लाइसेंस बच निकलते हैं क्योंकि हेलमेट के नीचे मंकी कैप। मंकी कैप के नीचे मफलर, मफलर के नीचे.... खैर जाने दोे!
जो लोग पूरे प्रयासों के बावजूद हिल स्टेशन नहीं जा पाते वे इन दिनो अपने घर पर ही स्विटजरलैंड जैसा फील गुड कर सकते हैं। फ्रिज न होना खलता नहीं है क्योंकि दूध तो वैसे भी नहीं ही फटता है और कल की दाल भी एक सप्ताह तक ताजी बनी रहती है। यह सर्दी का ही प्रताप है कि दुबला पतला चूहा भी इन दिनो मोटी बिल्ली सा तना नजर आता है। कारण? अरे सब कुछ जानते हुए भी अनजान मत बनो। पटरी पर बिकने वाले विदेशी कोट के नीचे आप तीन- चार पुराने कपड़े भी तो पहनेंगे या नहीं?
यह सर्दी का समभाव है कि कालर सलामत हो तो फटी कमीज भी सम्मान पा जाती है। हमारे माननीय परिधानमंत्री जी एक दिन में चाहे जितने सूट बदले लेकिन आम आदमी एक सूट से कई-कई दिन काम चला सकता है। आमो में खासो-आम की पहचान के लिए तो मफलर ही काफी है। आप भी सर्दी में अपने व्यक्तित्व पर ध्यान दीजिये- शीशे के सामने जुल्फे सवांरों और टाई लगाकर बन जाओ जनाब हीरो!
सर्दी और बचत का चोली दामन का साथ है। इन दिनो बाजार में गोभी, मटर, गाजर, मूली, शलगम, पालक, सरसों, टमाटर के ढेर होने के कारण सस्ते भी हैं। एक दिन बनाओ चार दिन खाओ। पंखे, एसी बंद इसलिए बिजली का बिल भी सिकुडे बिना नहीं रहेगा। अंदर की बात बताना मना है वरना बताता कि इन दिनों पानी की भी खासी बचत होती है। अरे हां, यह तो भूल ही गया- अकेले पानी ही नहीं, साबुन-तेल भी बचता है।
और अगर बिजली विभाग मेहरबान रहे या धूंध स्मॉग कृपा करे तो बच्चे बहुत खुश होते हैं क्योंकि उनके स्कूल सबसे पहला निशाना होते हैं। स्कूल की छुट्टी का मतलब- चारे के बाद राबड़ी पाकर मुरझाये चेहरो पर मुस्कान। कुछ पप्पू इस मौसम का लाभ उठाकर नानी घर जा सकते हैं। मगर जो चांदी का चम्मच मुंह में लेकर पैदा होते हैं वे अपनी हार का दर्द कम करने मालिश के लिए पटाया की ओर भी प्रस्थान कर सकते हैं।
हाय री सर्दी! जहां इतने तेरे लाभ है वहां कुछ समस्याएं भी हैं। इन दिनो नाक ऊंची रखना थोड़ा कठिन होता है। बहाव हमेशा नीचे की ओर होता है इसीलिए जो नाक पर कभी मक्खी नहीं बैठने देते ऐसे ऊंची नाक वाले भी रुमाल का सुरक्षा कवच धारण करने को मजबूर होते हैं।
कोई अतिथि आ जाये तो चाय- पानी से टरकाना मुश्किल होता है। चाय संग कम से कम गरमागर्म पकौड़े तो खिलाने ही पड़ेगे। कई बार तो कई-कई दिनों तक डेरा डालने वाले महापुरुषों को भी झेलना पड़ता है। मुश्किल तब होती है जब उसे ऐसे घटिया पड़ोसी मिले कि मांगने पर एक अतिरिक्त रजाई गद्दा भी उपलब्ध न करा सके। तब मेहमान दुश्मन सा लगने लगता है क्योंकि अपना बिस्तर उसे देकर खुद बच्चों के साथ शेयरिंग पर विवश होना पड़ता है। वरना ठिठुरने के अलावा कोई चारा नहीं।
अच्छी हो, न हो मगर सच्ची बात यह है कि साल के 365 दिनों की तरह सर्दी और गरीब की राशि नहीं मिलती है। क्योंकि परस्पर राशि मिलााने के लिए जरुरी राशि गरीब से दूरी बनाये रखती है।
अरे यह क्या! सर्दी में सब सिकुड़ता है तो आप इस चर्चा को इतनी लंबी क्यों कर रहे है? विज्ञान का युग है नियम विरूद्ध नहीं जाना चाहिए। वैसे भी आजकल गब्बर सिंह टैक्स (जीएसटी) का दौर है, न जाने कब कितना लगा दिया जाये इसलिए इस चर्चा को यही विराम। आने दो नये नोटो की गर्मी, तब दो घूंट लगाकर करेंगे फिर से वहीे बड़ी-बड़ी बाते। - डा विनोद बब्बर 7982170421
ठिठुरन भरी सर्दी के लाभ
Reviewed by rashtra kinkar
on
21:11
Rating:
Reviewed by rashtra kinkar
on
21:11
Rating:
![Rashtra Kinkar [राष्ट्र किंकर] :: Official Blog Page](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjNu95SKpCW238sRVga5VRXBm0FiR20xexYthgw7TixtmD_5ZxbeQrwvB90e1PhTrlOblozLq3i1cdU8nxr1I2wuemj3GQs8C302LkBLxO1wduw2caKy7DDFr7BmiGKczMg2FjGSxSlrAw/s1600/hk.jpg)

No comments