Home
About Vinod Babbar
विषय (Topics)
_Social (सामाजिक मुद्दे )
_Politics (राजनीतिक मुद्दे)
_Justice (न्याय)
_Health (स्वास्थ्य)
_Foreign Policy (विदेश नीति)
_Indian Food (व्यंजन)
_Economy (अर्थव्यवस्था)
_Rashtra Kinkar (राष्ट्र किंकर)
_Literature (साहित्य)
_Education (शिक्षा)
_Spiritual (आध्यात्म)
Contact us (संपर्क)
Home
/
Unlabelled
/
क्या से क्या हो गए विनोद बब्बर
क्या से क्या हो गए विनोद बब्बर
18:19
rashtra kinkar
Facebook
क्या से क्या हो गए विनोद बब्बर
Reviewed by
rashtra kinkar
on
18:19
Rating:
5
No comments
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Most Popular
वर्तमान में महाभारत की प्रासंगिकता Mahabharata and our time
महाभारत के विषय में कहा जाता है कि ‘जो यहाँ (महाभारत में) है वह आपको संसार में कहीं न कहीं अवश्य मिल जायेगा। और जो यहाँ नहीं है व...
भारत का स्कॉटलैण्ड है शिलांग Shillong- The Scotland Of India
शिलांग पीक पिछले दिनों पूर्वोत्तर राज्य मेघालय की राजधानी शिलांग के साहित्यिक कार्यक्रम में भाग लेने का निमंत्रण मिला। अनि...
गौ संरक्षणः नारे नहीं, व्यवहार से बदलेगी तस्वीर Cow-- Practical aproach will change the scenario
गौ संरक्षण वर्तमान भारत का सर्वाधिक ज्वलंत मुद्दा है. इसीलिए इसपर बहुत चर्चा होती है। निश्चित रूप से गाय इस देश के बहुसंख्यक लोगों...
खतरा अपसंस्कृति से या यज्ञ से?
खतरा अपसंस्कृति से या यज्ञ से? हम अक्सर अपनी युवा पीढ़ी की स्वच्छन्दता की चर्चा करते हैं। वैश्वीकरण के नाम पर वेश्यायीकरण और आधुनिकता...
गायब होते संस्कार, खतरे में परिवार No parivar without Sanskar
गायब होते संस्कार, खतरे में परिवार लंबे समय से गायब एक कवि ने सोशल मीडिया पर अपनी वाल पर लिखा, कि गत पंद्रह जून को वह अपने गांव म...
मूछ का सवाल है जी
मूछ का सवाल है जी पिछले दिनोे एक मंत्री के पूंछ और मूछ वाले वक्तव्य पर विवाद हुआ। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं कि ‘आप’ या ‘वे’ मूछ को...
शब्द आक्सीजन है
पर्यावरण- विनोद बब्बर मैंने गमला बनाया - उसमें पौधा लगाया कलिया सजाई- तितली नचाई खिलखिलाते फूलों में - रंगों की छटा बिखेरी पर बह...
भ्रष्टाचारी मूंछ (व्यंग्य) BHrastachar v/s Munchhe
घसीटाराम जी आज बहुत उबल रहे थे। आते ही बोले, ‘क्या जमाना आ गया है। कभी मूंछ की पूंछ होती थी, अब मूंछ बदनाम है। आज कालेज के प्रथम ...
मना का आधार और आधार की मना (व्यंग्य) Manaa-- Refuse or Celebration?
मना का आधार और आधार की मना हमारे घसीटाराम जी का मना से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। वे खाने के बाद भी खा लेंगे लेकि...
विकास की अवधारणा और विनाश # Concept of development & Disaster
विकास की अवधारणा और विनाश विकास मानव सभ्यता की एक अनिवार्य और सदा चलते रहने वाली सतत प्रक्रिया है। डार्विन ने जीव विकास की थ्योर...
Total Pageviews
Blog Archive
Blog Archive
April (2)
February (1)
January (1)
June (1)
May (5)
April (3)
March (5)
February (4)
January (5)
December (6)
November (2)
October (1)
July (2)
April (1)
March (2)
January (2)
December (1)
November (1)
October (3)
September (4)
August (5)
July (8)
June (2)
May (5)
April (5)
March (3)
February (7)
January (4)
December (8)
November (5)
October (6)
September (7)
August (10)
July (7)
June (3)
May (5)
April (5)
March (7)
February (6)
January (8)
December (8)
November (3)
October (3)
September (5)
August (9)
July (6)
June (5)
May (7)
April (5)
March (6)
February (5)
January (9)
December (5)
November (7)
October (7)
September (5)
August (1)
July (3)
June (5)
May (7)
April (5)
March (5)
February (6)
January (6)
December (8)
November (4)
October (6)
September (6)
August (6)
July (6)
June (4)
May (6)
April (3)
March (2)
February (4)
January (3)
December (4)
November (2)
October (4)
September (3)
August (7)
July (7)
June (4)
May (7)
April (3)
March (3)
February (3)
January (4)
December (7)
November (2)
September (3)
August (4)
July (3)
Followers
Vinod babbar. Powered by
Blogger
.
No comments