व्यंग्य मेरा चुनाव घोषणापत्र



इधर मुफ्त बिजली, पानी, मुफ्त वाई-फाई के वादे ने दिल्ली की तस्वीर बदले या न बदले पर अनेको की तकदीर जरुर बदल दी। अनेक नामालूम चेहरे ‘चर्चित’ चेहरे बन गए तो हमारे कलेजे पर भी सांप लौटने लगा। उसी दिन से हमने भी अगला चुनाव केवल लड़ने ही नहीं बल्कि जीतने की तैयारी शुरु कर दी है। आखिर क्या कमी है हममें? चेहरे से पहनावे तक कहीं भी ‘खास’ जैसा कुछ नहीं। अपने माथे पर कभी किसी पार्टी के नेता तो दूर उसके सामान्य सदस्य होने जैसा कलंक भी नहीं रहा। भगवान की कृपा से आवाज में भी ‘बेदम’ है। 
खुदा झूठ न बलाये, अचानक राह चलते टकराए एक ज्योतिषी (करोई वाले ज्योतिषी नहीं) ने हमारा हाथ नहीं, ललाट पढ़कर झण्डे वाली कार की भविष्यवाणी कर डाली। बस उसी क्षण को आप हमारे जीवन का ‘टर्निंग’ प्वाइंट मान सकते हैं। हमारे दिल मंे जनता की ‘सेवा’ का ज्वार-भाटा सुनामी बनकर उबलने लगा है। हमने बिना किसी नाटक मंडली का गठन किए अपना चुनाव घोषणा-पत्र तैयार कर डाला है। यदि  हमारे वादे आपके दिल तक पहुंच सके तो यकीन मानिए ये चुनावी ‘जुमले’ नहीं बनेगे।
हमारा वादा है- झण्डे वाली कार मिलने के बाद हम अपने सभी मतदाताओं को एक हजार वर्ग मीटर का चार मंजिला मकान, एक मनपसंद कार, आजीवन मुफ्त पैट्रोल, बिना कुछ किये-धरे ग्यारह जार रुपए महीना पेंशन, अमेरिका का बी-1 वीजा, कंुवारों को वाइफ, बच्चों का मनचाहे पब्लिक स्कूल में बिना डोनेशन बिना फीस दाखिला जहां किताबे, डिजाइनर वर्दी, पंचसितारा होटल का खाना, लैपटाप की गारंटी होगी वह भी बिल्कुल मुफ्त। लड़को से अगर कोई ‘गलती’ भी हो जाए तो उनपर अंगुली उठाने वालों के विरूद्ध ‘कड़ी’ कार्यवाही की जाएगी। 
सभी सिनेमा हालों में अकेले आने वालो से बेशक टिकट लगे लेकिन ‘जोड़ी’ के लिए ‘सब’ मुफ्त होगा। जिन सिनेमा हालों में बाबाओं की फिल्म का प्रदर्शन होगा वहां ‘परसाद’ वितरण की विशेष व्यवस्था होगी। लेकिन नेताओं पर फिल्म बनाना प्रतिबंधित होगा। अपने नाम लिखे  कपड़े पहनने का अधिकार नेताओं के लिए सुरक्षित होगा परंतु नेताओं के पुराने कपड़े नीलाम करने के लिए विशेष स्थल बनाए जाएगे। इससे प्राप्त राशि नेता कल्याण कोष को दी जाएगी। 
हम भाईचारे के प्रबल पक्षधर है। अरे भाई जब ‘चारे’ के बिना भोली भाली गाय तक दूध नहीं देती तो....तो! खैर छोड़ो।  हम अपने हर भाषण में भाईचारे की महिमा का बखान करेंगे। पर इतना सनद रहे, हमारे और हमारे ‘भाईयों’ के चारे पर सवाल उठाने वालों को सीमा पार खंदेड़ा दिया जाएगा। लेकिन जो लोग हमें आजीवन वोट देने की कसम खाएगे उन्हें विशेष सम्मान के साथ मुफ्त आवास योजना के साथ सीमा पार से लाकर यहां बसाया जाएगा। 
सुना है जनता की सेवा के लिए कुछ चाटूकार टाइप कवियों को अपनी ‘किचन केबिनैट’ में शामिल करना जरूरी है। इच्छुक ‘महानुभाव’ बाद की धक्का-मुक्की से बचने के लिए हमारे पक्ष में नारे, सलोगन, कविताएं लेकर फौरन सम्पर्क कर सकते हैं। हमारे पक्ष में हवा में गांठ लगाने में माहिर इलैक्टोनिक मीडिया वाले भी सम्पर्क कर सकते है। उनके लिए सत्ता में आरक्षण के प्रावधान पर विचार किया जा सकता है।
ओह! बुरा हो हमारी श्रीमतीजी का जिन्होंने हमारी लंबी चादर को अपने ‘क्रेन’ जैसे हाथो से खींचकर सब गुड़ गोबर कर दिया। हमारे सपनों पर पानी फेरने वाली थानेदारनीजी आप कब समझेगी कि थोड़ा संयम न रखने की वजह से झण्डेवाली कार के मालकिन होते होते रह गई। 
खैर जां हुआ, सो हुआ। नींद टूटी है, सपना नहीं टूटा। आप हमारे चुनाव घोषणापत्र पर विचार अवश्य करे। यह विरोधियों के लिए बेशक कागज का टुकड़ा हो सकता है लेकिन हमारे लिए यह कसम खाने योग्य पवित्र पुस्तक है। अगर आप हमारे स्वप्न को साकार करने में मदद कर सके तो हम भी पीछे हटने वाले नहीं है। 
बस इतना ध्यान रहे- ये वादे पांच साल में पूरे किए जायेगे। अगर हम इन्हें पूरा न कर सके तो.... तो क्या?? तो आप क्या करेंगे? यही न कि अगली बार हमें वोट नहीं देंगे। अरे मत देना। हमे कौन सा अगली बार चुनाव लड़ना है। जमकर मेहनत करेंगे तो एक ही बार में अपने किए वादें कम से कम एक व्यक्ति (खुद हम) के प्रति पूरी ईमानदारी से लागू करा ही लेंगे।  
मुझे आशा ही नहीं पूरा विश्वास है ‘फागुनी’ तरंग में किए गए  इन वादों की नींव पर आप अपने सपनों का महल खड़ा करने में सफल होंगे। फिलहाल मैं तो चला- फ्री वाइ-फ से मिलने खुले मैदान में। खुदा हाफिज!   - विनोद बब्बर 9868211911 
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