शोर नहीं, संवाद का मंच है संसद

लोकतंत्र दुनिया की सर्वश्रेष्ठ शासन प्रणाली है। तानाशाही के क्रूर पंजें में छटपटा रहे लोग लोकतंत्र के लिए तरसते है। हमारा सौभाग्य है कि हम दुनिया क सबसे बड़ा लोकतंत्र हैं। हमने ही दुनिया को गणतंत्र की अवधारणा दी। लोकतंत्र को ‘जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन’ कहा जाता है। हमारी  संसद देश की सबसे बड़ी पंचायत है। यह संवाद का वह मंच जहां केवल राजघरानों, उद्योगपतियों और बड़े लोगों की ही चर्चा नहीं होती बल्कि गांव, गरीब की आवाज भी उठाई जा सकती है। लेकिन  जब  संसद सार्थक संवाद की बजाय अहम का अखाड़ा बन जाये तो लोकतंत्र के इस स्वरूप की सार्थकता पर प्रश्नचिन्ह लगना स्वाभाविक है। जनता की समस्या हल करने और देश के समक्ष महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने की बजाय शोर करते लोकतंत्र के प्रतिनिधियों को देखकर  कुछ दिनों पूर्व मलयेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री का कथन, ‘भारत में जरूरत से ज्यादा लोकतंत्र है’ पर प्रासंगिक लगता है। केवल आज ही नहीं इससे पूर्व भी यह बार-बार दोहराया जाता रहा है-नकारात्मक माहौल न केवल राष्ट्र की छवि को बल्कि जन, गण के मनोबल को भी प्रभावित होता है। न केवल ससंद बल्कि अन्य मचों पर भी टकराव का माहौल बनाया जा रहा है। पिछले दिनों नीति आयोग की बैठक में कांग्रेस के मुख्ययमंत्रियों की अनुपस्थिति इसकी एक बानगी है।
 संसद का वर्षाकालीन सत्र अनावश्यक अहम के टकराव और हंगामें की भेंट चढ़ गया लेकिन लगभग अंतिम दिन चर्चा की शुरुआत  होना किसी एक पक्ष की बल्कि लोकतंत्र की जीत है। कुछ वर्ष पूर्व संसद की स्वर्ण जयंती के अवसर पर हुए विशेष सत्र में हर दल और हर सदस्य ने संसद को सुचारू रूप से चलने देने का संकल्प लिया था। यह दुखद है कि वह संकल्प ढ़ूंढ़ने पर भी नहीं दिखाई देता। क्योंकि सभी दल अपने-अपने दलदल में तर्क-कुतर्क से लैस दिखाई देते हैं। संसद और सभी विधानसभाओं का कामकाज सुचारू रूप से चले, इसके लिए पक्ष- विपक्ष दोनो अपनी जिम्मेवारी समझते हुए चिंतन करना चाहिए। वर्तमान स्थिति यह है कि भारत के विभिन्न राज्यों में अलग- अलग दलों की सरकारें हैं। विचित्र बात यह है कि  हर सत्तारूढ़ विपक्ष को व्यवधान के लिए दोषी ठहराता है जबकि दूसरे राज्य में जहां वह विपक्ष की भूमिका में है, सतारूढ़ दल पर विपक्ष की आवाज दबाने और लोकतंत्र की हत्या के आरोप लादता है। एक ही समय में परस्पर विरोधी भूमिकाएं निभाने में हमारे नेता अच्छे-अच्छे अभिनेताओं को मात करते हैं।
पंचायत गांव की हो देश की, उसकी गरिमा उसके धैर्य और परस्पर व सार्थक संवाद में है। न्याय का पक्ष प्रस्तुत करने में है। और यदि कहीं कोई गलती, चूक अथवा अपराध हुआ है तो उसका परिष्कार करने में है, न कि कीचड़ उछालने अथवा इतनी धूल उड़ाने में कि हर चेहरा धूल से सन जाए और लोकतंत्र के प्रति जनविश्वास को कमजोर करने में है। जनविश्वास का टूटना लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। पंचायत से संसद तक संवाद जारी रहना चाहिए। आखिर जब बार-बार आजमाये हुए शैतान पड़ोसी से संवाद किया जा सकता है। देशद्रोहियों से संवाद किया जा सकता है तो पक्ष और विपक्ष संवाद को परहेज से क्यों? विपक्ष की अर्थ दुश्मन नहीं होता और न ही  राजनीति किसी प्रकार की अस्पृश्यता का स्थान है। शोर में संसद को मूक-बधिर नहीं बनाया जाना चाहिए   ताकि भारतीय लोकतंत्र जीवान्त रहते हुए पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण बनें।
बेशक संसद में हंगामा कोई नई बात नहीं है। उसपर संसद तथा विधानसभाओं में कामकाज लगातार घट रहा है परंतु व्यवधान और शोर बढ़ रहा है। बहस की गुणवत्ता लगातार घट रही है।   लेकिन इसबार जिस तरह से सभापति का निरादर किया गया तथा अब तक परम्परा को लगभग दरकिनार करते हुए विपक्ष की सुप्रीमों ने वेल में आकर हंगामा किया वह निराशाजनक है। लोकराज लोक लाज से चलता है परंतु उसमें बहुमत की राय हमेशा से ही महत्वपूर्ण होती है ऐसे में लोकसभा अध्यक्षा का यह कथन कि ‘महज 40-50 लोग 440 सांसदों को काम नहीं करने दे रहे हैं। यह प्रजातंत्र और लोकतंत्र की हत्या है’ विशेष चिंतन की मांग करता है। राजनैतिक  विशेषज्ञों के अनुसार अपने लंबे शासनकाल में लगातार भ्रष्टाचार के आरोपों से रसातल में पहुंच चुकी कांग्रेस अपनी पूरी शक्ति लगाकर यह साबित करना चाहती है ताकि सभी भ्रष्टाचारी है। किसी में कोई अंतर शेष न रहे। इसीलिए खुद को सही साबित करने के लिए उन्होंने जुमला उछाला, ‘कल के हंगामेबाज (भाजपा) आज बहस के समर्थक हो गए’ लेकिन अपने आचरण से स्वयं पर भी कल से बहस के समर्थक (कांग्रेस) आज हंगामेबाज होने का ठप्पा भी तो लगवा लिया। उसने विदेशमंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान व मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की बलि के लिए अपने तरकश का हर तीर अपनाया। 
कांग्रेस के तेवर अंतिम दिन भी चर्चा के लिए तैयार न होने के थी लेकिन शेष विपक्ष हंगामे के विरूद्ध खड़ा न हो गया। स्पष्ट है कि पहले से कमजोर कांग्रेस अब अलग थलग किये जाने के डर से ‘लोकतंत्र का सम्मान’ अर्थात् ससंद में संवाद के लिए विवश हुई। संवाद  से यह तथ्य सामने आया कि जिस सुषमा के बारे में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि ‘सुषमा ने एक अपराधी की मदद की है, उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि उनके परिवार के पास ललित मोदी की तरफ से कितना पैसा मिला तभी ससंद चलेगी। ’ उनके सभी आरोपों का जवाब देते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने लोकसभा में कहा, ‘इस मामले से उनका कोई लेना-देना है। उनके पति ललित मोदी के पासपोर्ट मामले में वकील नहीं थे और बेटी नौवें नंबर की जूनियर वकील थी। नौवें नंबर के वकील को तो कोई एक पैसा भी नहीं देता है।’ उन्होंने पलटवार करते हुए कहा, ‘राहुल कहते हैं कि चोर आते हैं तो छुप कर आते हैं, सुषमा ने यह काम छुप-छुप कर किया। मैं कहती हूं कि मैंने कोई काम छुप-छुप कर नहीं किया है। अगर छुप कर किया है तो इन लोगों ने क्वात्रोच्चि का भगाने का किया। अगर छुप-छुप कर किया तो राजीव जी के वक्त में ऐंडरसन को भगाने का काम किया। मैं राहुल जी ने कहना चाहती हूं कि आपको छुट्टियां मनाने का बहुत शौक है। इस बार छुट्टी में अपने परिवार का इतिहास पढ़िए। वापस आकर पूछें कि अपनी मां से पूछें कि मम्मा हमने क्वात्रोच्चि पर कितने पैसे लिए, 15 हजार लोगों के हत्यारे वॉरेन एंडरसन को हमने क्यों छुड़वाया था। ये मैं नहीं बल्कि अर्जुन सिंह जो कांग्रेस के उपाध्यक्ष थे उनकी किताब में कहा गया है।’
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम पर हमला बोलते हुए कहा, ‘उनके वित्त मंत्री रहते हुए चार साल तक ललित मोदी पर ईडी ने कोई कार्रवाई नहीं की। इन्कम टैक्स विभाग ने उनकी पत्नी नलिनी को अपना वकील बनाया। यह कंफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट है। नलिनी ने सारदा ग्रुप से एक करोड़ रूपये लिए। यूपीए सरकार के रहते ललित मोदी को ब्रिटेन में रहने की अनुमति मिली।’ वर्तमान वित्तमंत्री ने जिस तरह ललित मोदी मामले में पिछले सरकार के दोहरे आचरण की पोल खोली उसके बाद संसद को ठप्प रखने की कोशिश का औचित्य समझ में आता है। अतः पोल खुलने के डर से संसद को बंधक बनाने की प्रवृति पर हमेशा के लिए रोक लगाने, विरोध के तरीके बदलने तथा संसद के कामकाज को और बेहतर बनाये बिना हम दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक विरासत के सच्चे उत्तराधिकारी नहीं कहला सकते।
-- विनोद बब्बर संपर्क-09868211911 निवास- ए-2/9ए, हस्तसाल  रोड,  उत्तम नगर नई दिल्ली-110059  
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