गर्मी की छुट्टियांः आफत या राहत

हर रविवार उत्तम नगर के गायत्रीधाम में होने वाली गोष्ठियों की श्रृंखला में इस बार का विषय था  ‘गर्मी की छुट्टियांः राहत या आफत’ केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यु डी) के उच्च अधिकारी श्री आर. के. वशिष्ट की अध्यक्षता में इस चर्चा में कुछ स्कूली छात्रों को भी अपने विचार  व्यक्त करने के लिए आमंत्रित किया गया था। 
चर्चा का शुभारम्भ करते हुए इण्डियन एयर लाइन्स के पूर्व अधिकारी और गायत्री परिवार शान्ति कुन्ज की भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के दिल्ली प्रदेश संयोजक श्री के.एल. सचदेवा के अनुसार पूरे विश्व में प्रतिकूल मौसम में छुट्टियों की परम्परा है। अनेक ठण्डे देशों- प्रदेशों में बहुत अधिक सर्दी होने पर जब बाहर से निकलना असंभव अथवा कठिन हो जाता है तो छुट्टियां की जाती है। भारत में मई, जून ही सर्वाधिक गर्म है। तो जनवरी का प्रथम पखवाड़ा बहुत सर्द। इन दिनों छुट्टियों की जाती है। छुट्टियों को सदुपयोग करने पर इन्हें लाभकारी अन्यथा बोझ बताते हुए इसे छात्रों तथा परिवार के लिए आत्म मूल्यांकन का अच्छा अवसर बताया।  भारत कृषि प्रधान देश है। मई, जून आपेक्षाकृत खाली समय होता हें। इन दिनों में भारत में शादी- विवाहों की परम्परा रही है। रोजी- रोटी के लिए घर से दूर हने वाले लोग इन दिनों अपने गांवों में आते हैं।  इन दिनों बच्चे परिवार, प्रकृति और समाज से निकटता प्राप्त करते है।
जापानी कम्पनी हिटाची में अधिकारी श्री कौशल कुमार ने छुट्टियों को लगातार पढ़ाई के बाद कुछ रूक कर विचार करने का अवसर बताया। बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम के बाद छात्रों के सामने अपने भविष्य के बारे में निर्णय करने की चुनौती रहती है अतः वे इस दौरान स्वजनों, मित्रों व विशेषज्ञों से चर्चा कर सकते हैं। उन्होंने विभिन्न इंजीनयरिंग कालेजों से अपनी कम्पनी के लिए भर्ती के अनुभवों की जानकारी देते हुए शिक्षा के स्तर पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की।
समाजसेवी श्री मनोज कुमार के अनुसार छुट्टियां जरूरी हैं लेकिन समस्या यह है कि आज के भौतिकवादी समय में एक सप्ताह में बच्चे ही नहीं बड़े भी परेशान हो जाते है। सभी के लिए किसी पर्यटन स्थलों पर जाना अथवा समर कैम्प में भाग लेना संभव नहीं होता। अतः आर्थिक रूप से विपन्न छात्रों के मन में हीनभावना उत्पन्न होती है। उन्होंने बच्चों को प्रकृति से निकटता के लिए गांवों जाने पर बल दिया।
डीएवी स्कूल, विकासपुरी में बारहवीं कक्षा के छात्र मेघाव्रत ने छुट्टियों को आवश्यक बताते हुए इन्हें छात्रों की रचनात्मकता से जोड़ने की बात कही। उन्होंने सभी स्कूलों में समर कैम्प लगाने तथा महंगे मॉडल बनाने का होमवर्क देने की बजाय स्कूल की प्रयोगशाला का सदुपयोग करने का सुझाव भी दिया।
कोलम्बिया फाऊण्डेशन स्कूल, विकासपुरी की नवीं कक्षा के छात्र  अक्षित गोयल ने छुट्टियों को जरूरी बताया क्योंकि सामान्य दिनों में बच्चों को बहुत सुबह से देर रात तक मशीन बने रहना पड़ता है। इन दिनों वे फिजिकल फिटनेस पर ध्यान दे सकते हैं। सदैव व्यस्त रहने वाले बच्चे इन दिनों उनके ‘हैल्पिंग हैंड’ बन सकते है।
श्री आर. के. वशिष्ट ने छुट्टियों के दौरान बच्चों को बारी- बारी से एक राज्य के दूसरे राज्यों में भेजने, व्यवहारिक तकनीकी प्रशिक्षण, यातायात नियमों की जानकारी के बाद उन्हें यातायात  नियंत्रण में लगे अधिकारियों के साथ लगाने जैसे अनेक सुझाव भी दिये।
कार्यक्रम संचालक विनोद बब्बर सहित अनेक अन्य उपस्थित गणमान्य नागरिकों ने भी इस विषय पर अपने विचार प्रकट करते हुए छुट्टियों को और व्यवहारिक और उपयोगी बनाने पर बल दिया।

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