भ्रष्टाचार कारण और निवारण

आर्य समाज मयूर विहार-1, नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्र रक्षा सम्मेलन में ‘भ्रष्टाचार कारण और निवारण’ पर सुप्रसिद्ध वैदिक विद्वान डॉ. वेदपाल, डॉ. सुधीर कुमार (संस्कृत विभाग, जे.एन.यू.) एवं डॉ. विनोद बब्बर (राष्ट्र-किंकर संपादक) ने अपने व्याख्यान में भ्रष्टाचार को राष्ट्र का शत्रु बताया।
डॉ. वेदपाल ने वेदों से उद्धरण देते हुए समाज को ‘मत्स्य व्यवस्था’ से बचाने के लिए राज्य अनुशासन की बात जिसका राजकीय अधिकारियों को निभाना चाहिए लेकिन सुविधा शुल्क जैसेी बुराई ने व्यवस्था को भंग कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया। डॉ. सुधीर कुमार के अनुसार आज टीवी चैनलों पर अंधविश्वास को बढ़ावा दिश जा रहा है जो आचरण के भ्रष्ट होने का प्रमाण है।
मुख्य वक्ता डॉ. विनोद बब्बर ने प्रश्न किया बिना हैलमेट पकड़े जाने पर पुलिस को कुछ ले-दे कर छूट जाने वाले ईमानदार और पुलिस भ्रष्टाचार कैसे है? देश के अधिकांश मंदिर, गुरुद्वारे के बाहर लगे ठंडे पानी के फ्रिजरों में स्टील के गिलास चैन से बंधे होते हैं, यहाँ तक कि रेल के शौचालय में डिब्बा भी बंधा न हो तो गायब मिलता है, वहाँ केवल नेताओं को भ्रष्ट बताना कितना उचित है? कन्या भ्रूण हत्या करने वाला केवल डाक्टर को ही भ्रष्ट और लिंग परिक्षण करवाने वाले माता-पिता को मजबूर भ्रष्टाचार के विस्तार का कारण है। बेशक ताजमहल संगमरमर से बना है पर केवल संगमरमर से ही ताजमहल नहीं बना करते। उसके लिए कुशल कारीगर चाहिए पर उससे भी पहले संगमरमर में छैनी-हथोड़ों की चोट सहने की शक्ति चाहिए। ठीक उसी प्रकार राष्ट्र- रक्षा केवल नारों से नहीं होने वाली। आश्चर्य होता देश का बच्चा-बच्चा भ्रष्टाचार का विरोधी है पर फिर भी सर्वाधिक व्यवहार में लाये जाने वाली बुराई है। आज काले धन और विदेशों में जमा धन की खूब चर्चा होती है पर राष्ट्र के असली धन उसके युवा के विदेश पलायन पर सब मौन है? युवा अगर सशरीर विदेश नहीं  गया तो भी विदेशी भाषा, विदेशी संस्कृति, विदेशी फैशन, विदेशी सोच का गुलाम हो रहा है। इसपर कहीं कोई चर्चा तक नहीं होती। क्या यह हमारा दोगलापन है या नहीं?
एक वक्ता द्वारा स्कूल से संस्कृत हटाने की चर्चा करते हुए विनोद बब्बर ने कहा, ‘संस्कृत और संस्कृति पूरक हैं। सरकारी स्कूलों में तो ऐसा हो ही रहा है पर आर्य समाज से जुड़े डीएवी स्कूलों से भी संस्कृत हटना महा अपराध है। डीएवी स्कूल भी व्यवसायिक केन्द्र बन चुके हैं। जहाँ दाखिला मुश्किल है। स्वयं को देव दयानंद के अनुयायी बताने वाले  विश्व सम्मेलनों पर करोड़ों खर्च करते है पर देशभर में ऐसे अधिक से अधिक स्कूल क्यों नहीं खोले जाते? राष्ट्र निर्माण तो तब होगा जब पहले हम ‘मनुर्भव’ के सूत्र केा अपनाये।’ आर्यसमाज मयूर विहार के मंत्री श्री ओम प्रकाश शास्त्री एवं सभी पदाधिकारियों को बधाई देते हुए विनोद बब्बर ने चर्चा से आगे बढ़ व्यवहार में लाने पर बल दिया।
इससे पूर्व बालको ने वेद पाठ किया तो वृद्ध सम्मान का कार्यक्रम भी हुआ। सम्मेलन का समापन ऋषि लंगर से हुआ। 
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