राष्ट्र किंकर संस्कृति सम्मान समारोह 2016
हिन्दी देश की एकता की मजबूत कड़ी है
नई दिल्ली। हमेशा की तरह इस बार भी साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था राष्ट्र किंकर द्वारा मकर-संक्रांति के अवसर पर आयोजित किया जाने वाला संस्कृति सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। राष्ट्र शक्ति वि़द्यालय सभागार में देश-विदेश से पधारे विद्वानों ने ‘हिन्दी के प्रचार- प्रसार में धार्मिक संस्थाओं की भूमिका’ विषय पर संगोष्ठी में भाग लिया। पूज्य स्वामी डा गौरांगशरण देवाचार्य जी महाराज एवं संस्कृत के प्रख्यात विद्वान पद्मश्री डा़ रमाकान्त शुक्ल के सानिध्य में आयोजित इस समारोह में मुख्य अतिथि पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. सी.पी. ठाकुर,, विशिष्ट अतिथि के रूप में दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के चेयरमैन डा़ रामशरण गौड़,डा. परमानंद पांचाल (राष्ट्रपति के पूर्व भाषा सहायक) तथा श्री अविनाश जायसवाल (राष्ट्रीय महांमत्री राष्ट्रीय सिक्ख संगत), अध्यक्ष के रूप में शिल्पगुरु गिर्राजप्रसाद ने अपने विचार व्यक्त करते हुए हिन्दी को देश की एकता की मजबूत कड़ी बताते हुए धार्मिक संस्थाओं विशेष रूप से आर्य समाज, सिक्ख गुरु साहिबान, कबीर, पीपाजी सहित संत कवियों के योगदान को स्मरण किया।
इससे पूर्व गायत्री परिवार की शाखा भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के संयोजक श्री खैराती लाल सचदेवा ने देश के कोने से कोने से पधारे सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्था के साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यों की जानकारी दी। संगोष्ठी का शुभारम्भ करते हुए डा. अम्बरीश कुमार ने विदेशों में मंदिर, गुरु़द्वारों में चल रहे हिन्दी प्रशिक्षण केन्द्रों का उल्लेख करते हुए धार्मिक संस्थाओं की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। संस्कृत विद्वान श्री मुरलीधर में विदेशों में हिन्दी को लोकप्रिय बनाने में रामचरित मानस की चर्चा की तो डा.’ पांचाल ने अमीर खुसरो से सूफी संतों को स्मरण किया। उन्होंने भाषा को संस्कृति का प्राण बताते हुए घर पर हिन्दी बोलने पर बल दिया। डा. रामशरण गौड़ ने निज भाषा को हेय दृष्टि से देखने वालो को आड़े हाथो लेते हुए कहा कि ‘विदेशी भाषा से अत्याधिक प्रेम करने वालों को जब अपने बच्चों से तिरस्कार मिलता है तब उन्हें समझ में आता है कि मातृभाषा और राष्ट्रभाषा से नाता तोड़ने की कितनी कीमत चुकानी पड़ती है। डा. रमाकान्त शुक्ल ने सभी भाषाओं को सहोदर बताते हुए इनके उचित संरक्षण और परस्पर सहयोग पर बल दिया।
संसदीय समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री पदमश्री डा.सी.पी. ठाकुर ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण और राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर से अपने आत्मीय संबंधों की चर्चा करते हुए भारतीय भाषाओं के अधिकाधिक प्रयोग पर बल दिया। उन्होंने प्रशासन और न्यायिक कार्यों में हिन्दी के उपयोग की मांग के लिए हिन्दीसेवियों के एक प्रतिनिधि मंडल संग शीघ्र प्रधानमंत्री जी ने मिलने की बात भी कही।
कार्यक्रम संयोजक डा. विनोद बब्बर के अनुसार साहित्य, कला, सेवा, साधना, अध्यात्म के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा के माध्यम से विशिष्ट सेवा के लिए जिन विभूतियों को संस्कृति सम्मान प्रदान किया गया वे हैं-
डा. वीरेन्द्र परमार (पूर्वोत्तर भारत)
श्री राकेश कुमार (राजभाष्
ाा निदेशक, गाजियाबाद), प्रज्ञाचक्षु डा. दयाल सिंह पवार (लालबहादुर संस्कृत विद्यापीठ में व्याकरणाचार्य एवं सक्षम के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिल्ली), श्री देवेन्द्र कुमार मित्तल(नोएडा), श्रीमती सृष्टि सिन्हा (झांसी), वरिष्ठ पत्रकार डा़. अनिल सुदर्शन (कोटा) तथा भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा में सर्वाधिक भागीदारी के लिए दिल्ली के 2विद्यालय।
महाराणा प्रताप की 450 वें जयन्ती वर्ष के उपलक्ष्य में नार्वें से पधारे डा. सुरेश चन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’, लोकतंत्र की बुनियाद के संपादक श्री गणेश यादव, प्रत्यक्ष भारत के श्री शशिधर शुक्ला, समाजसेवी श्री सुशील गुप्ता, इन्दिरा गांधी फिजिकल कालेज के निवर्तमान अध्यक्ष श्री नरेन्द्र भारद्वाज महाराणा प्रताप सम्मान प्रदान किया किया गया।
कार्यक्रम का आगाज राष्ट्रीय कवि सम्मेलन से हुआ। वरिष्ठ साहित्यकार, रंगकर्मी श्री किशोर श्रीवास्तव द्वारा संचालित इस कवि सम्मेलन में सर्वश्री घमंडीलाल अग्रवाल, डा. महेन्द्र दत्त शर्मा, डा. सीबी शर्मा, देवबंद के मेहताब अहमद तथा सुहेल अकमल, इरफान राही, श्रीमती शशि श्रीवास्तव, श्रीमती सरिता भाटिया, नत्थी सिंह बघेेल, लखीसराय से पधारे रविकुमार, चन्द्रशेखर, कोलकाता के श्री अमित अम्बटक सहित अनेेक कवियों ने देशप्रेम और संस्कृति को समर्पित अपनी श्रेष्ठ रचनाएं प्रस्तुत की। कोलम्बिया फाउण्डेशन स्कूल, विकासपुरी के आठवीं कक्षा के छात्र अक्षित गोयल द्वारा प्रस्तुत गीत ‘माँ मुझे बंदूक दिला दे, मैं भी लड़ने जाऊंगा’ की पंक्तियांे- ‘वंशज हूँं शिवा राणा का, गुरु गोविन्द की सन्तान हूं’ को विशेष रूप से सराहा गया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय सिक्ख संगत की ओर से उसके दिल्ली प्रान्त पदाधिकारी स. जसविन्दर सिंह ‘बन्टी’ ने डा. सी.पी. ठाकुर,, और द्मश्री डा़ रमाकान्त शुक्ल को उनकी राष्ट्र व्यापी सेवाओं के लिए श्रीसाहिब और सरोपा भेंट कर सम्मानित भी किया गया।
कार्यक्रम का एक अन्य आकर्षण तीन पुस्तकों का लोकार्पण था। शिष्ट विनोद के संपादक श्री अमरेन्दर कुमार के व्यंग्य संग्रह ‘झूठ बोलना जरूरी है’, दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व अधिकारी एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री नत्थी सिंह बघेल के क्रांतिकारियों के जीवन पर शोधपूर्ण ग्रन्थ के अतिरिक्त श्री विनोद बब्बर के निबन्ध संग्रह ‘हिये तराजु तौलि के’ का लोकार्पण करते हुए मंचासीन अतिथियों ने रचनाकारों को अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की।
श्री श्याम प्रसाद द्वारा उपस्थित सभी हिन्दी और संस्कृतिप्रेमियों के आभार ज्ञापन के पश्चात सभी ने परम्परागत खिचड़ी प्रसाद ग्रहण किया।
नई दिल्ली। हमेशा की तरह इस बार भी साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था राष्ट्र किंकर द्वारा मकर-संक्रांति के अवसर पर आयोजित किया जाने वाला संस्कृति सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। राष्ट्र शक्ति वि़द्यालय सभागार में देश-विदेश से पधारे विद्वानों ने ‘हिन्दी के प्रचार- प्रसार में धार्मिक संस्थाओं की भूमिका’ विषय पर संगोष्ठी में भाग लिया। पूज्य स्वामी डा गौरांगशरण देवाचार्य जी महाराज एवं संस्कृत के प्रख्यात विद्वान पद्मश्री डा़ रमाकान्त शुक्ल के सानिध्य में आयोजित इस समारोह में मुख्य अतिथि पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. सी.पी. ठाकुर,, विशिष्ट अतिथि के रूप में दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के चेयरमैन डा़ रामशरण गौड़,डा. परमानंद पांचाल (राष्ट्रपति के पूर्व भाषा सहायक) तथा श्री अविनाश जायसवाल (राष्ट्रीय महांमत्री राष्ट्रीय सिक्ख संगत), अध्यक्ष के रूप में शिल्पगुरु गिर्राजप्रसाद ने अपने विचार व्यक्त करते हुए हिन्दी को देश की एकता की मजबूत कड़ी बताते हुए धार्मिक संस्थाओं विशेष रूप से आर्य समाज, सिक्ख गुरु साहिबान, कबीर, पीपाजी सहित संत कवियों के योगदान को स्मरण किया।
इससे पूर्व गायत्री परिवार की शाखा भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के संयोजक श्री खैराती लाल सचदेवा ने देश के कोने से कोने से पधारे सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्था के साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यों की जानकारी दी। संगोष्ठी का शुभारम्भ करते हुए डा. अम्बरीश कुमार ने विदेशों में मंदिर, गुरु़द्वारों में चल रहे हिन्दी प्रशिक्षण केन्द्रों का उल्लेख करते हुए धार्मिक संस्थाओं की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। संस्कृत विद्वान श्री मुरलीधर में विदेशों में हिन्दी को लोकप्रिय बनाने में रामचरित मानस की चर्चा की तो डा.’ पांचाल ने अमीर खुसरो से सूफी संतों को स्मरण किया। उन्होंने भाषा को संस्कृति का प्राण बताते हुए घर पर हिन्दी बोलने पर बल दिया। डा. रामशरण गौड़ ने निज भाषा को हेय दृष्टि से देखने वालो को आड़े हाथो लेते हुए कहा कि ‘विदेशी भाषा से अत्याधिक प्रेम करने वालों को जब अपने बच्चों से तिरस्कार मिलता है तब उन्हें समझ में आता है कि मातृभाषा और राष्ट्रभाषा से नाता तोड़ने की कितनी कीमत चुकानी पड़ती है। डा. रमाकान्त शुक्ल ने सभी भाषाओं को सहोदर बताते हुए इनके उचित संरक्षण और परस्पर सहयोग पर बल दिया।
संसदीय समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री पदमश्री डा.सी.पी. ठाकुर ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण और राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर से अपने आत्मीय संबंधों की चर्चा करते हुए भारतीय भाषाओं के अधिकाधिक प्रयोग पर बल दिया। उन्होंने प्रशासन और न्यायिक कार्यों में हिन्दी के उपयोग की मांग के लिए हिन्दीसेवियों के एक प्रतिनिधि मंडल संग शीघ्र प्रधानमंत्री जी ने मिलने की बात भी कही।
कार्यक्रम संयोजक डा. विनोद बब्बर के अनुसार साहित्य, कला, सेवा, साधना, अध्यात्म के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा के माध्यम से विशिष्ट सेवा के लिए जिन विभूतियों को संस्कृति सम्मान प्रदान किया गया वे हैं-
डा. वीरेन्द्र परमार (पूर्वोत्तर भारत)
श्री राकेश कुमार (राजभाष्
ाा निदेशक, गाजियाबाद), प्रज्ञाचक्षु डा. दयाल सिंह पवार (लालबहादुर संस्कृत विद्यापीठ में व्याकरणाचार्य एवं सक्षम के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिल्ली), श्री देवेन्द्र कुमार मित्तल(नोएडा), श्रीमती सृष्टि सिन्हा (झांसी), वरिष्ठ पत्रकार डा़. अनिल सुदर्शन (कोटा) तथा भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा में सर्वाधिक भागीदारी के लिए दिल्ली के 2विद्यालय।
महाराणा प्रताप की 450 वें जयन्ती वर्ष के उपलक्ष्य में नार्वें से पधारे डा. सुरेश चन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’, लोकतंत्र की बुनियाद के संपादक श्री गणेश यादव, प्रत्यक्ष भारत के श्री शशिधर शुक्ला, समाजसेवी श्री सुशील गुप्ता, इन्दिरा गांधी फिजिकल कालेज के निवर्तमान अध्यक्ष श्री नरेन्द्र भारद्वाज महाराणा प्रताप सम्मान प्रदान किया किया गया।
कार्यक्रम का आगाज राष्ट्रीय कवि सम्मेलन से हुआ। वरिष्ठ साहित्यकार, रंगकर्मी श्री किशोर श्रीवास्तव द्वारा संचालित इस कवि सम्मेलन में सर्वश्री घमंडीलाल अग्रवाल, डा. महेन्द्र दत्त शर्मा, डा. सीबी शर्मा, देवबंद के मेहताब अहमद तथा सुहेल अकमल, इरफान राही, श्रीमती शशि श्रीवास्तव, श्रीमती सरिता भाटिया, नत्थी सिंह बघेेल, लखीसराय से पधारे रविकुमार, चन्द्रशेखर, कोलकाता के श्री अमित अम्बटक सहित अनेेक कवियों ने देशप्रेम और संस्कृति को समर्पित अपनी श्रेष्ठ रचनाएं प्रस्तुत की। कोलम्बिया फाउण्डेशन स्कूल, विकासपुरी के आठवीं कक्षा के छात्र अक्षित गोयल द्वारा प्रस्तुत गीत ‘माँ मुझे बंदूक दिला दे, मैं भी लड़ने जाऊंगा’ की पंक्तियांे- ‘वंशज हूँं शिवा राणा का, गुरु गोविन्द की सन्तान हूं’ को विशेष रूप से सराहा गया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय सिक्ख संगत की ओर से उसके दिल्ली प्रान्त पदाधिकारी स. जसविन्दर सिंह ‘बन्टी’ ने डा. सी.पी. ठाकुर,, और द्मश्री डा़ रमाकान्त शुक्ल को उनकी राष्ट्र व्यापी सेवाओं के लिए श्रीसाहिब और सरोपा भेंट कर सम्मानित भी किया गया।
कार्यक्रम का एक अन्य आकर्षण तीन पुस्तकों का लोकार्पण था। शिष्ट विनोद के संपादक श्री अमरेन्दर कुमार के व्यंग्य संग्रह ‘झूठ बोलना जरूरी है’, दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व अधिकारी एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री नत्थी सिंह बघेल के क्रांतिकारियों के जीवन पर शोधपूर्ण ग्रन्थ के अतिरिक्त श्री विनोद बब्बर के निबन्ध संग्रह ‘हिये तराजु तौलि के’ का लोकार्पण करते हुए मंचासीन अतिथियों ने रचनाकारों को अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की।
श्री श्याम प्रसाद द्वारा उपस्थित सभी हिन्दी और संस्कृतिप्रेमियों के आभार ज्ञापन के पश्चात सभी ने परम्परागत खिचड़ी प्रसाद ग्रहण किया।
राष्ट्र किंकर संस्कृति सम्मान समारोह 2016
Reviewed by rashtra kinkar
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