अगरतलाः समृद्ध सांस्कृतिक विरासत # Agartala # Tripura
त्रिपुरा की राजधानी अगरतलाः समृद्ध सांस्कृतिक विरासत

हाल ही में बने अगरतला रेलवे स्टेशन का भवन अपनी कलात्मक साज सज्जा के कारण आकर्षित करता है तो स्टेशन परिसर में रंग बिरंगी रोशनी में चलते फव्वारों को देखने का अपना एक अलग ही सुख है। सवारी को देखते ही बाहर इंतजार कर रहे ढ़ेरों टैक्सी वालें अखिल भारतीय अंदाज में आपको ‘लपकने’ के लिए कुछ भी करने को तैयार दिखाई दिए। जैसा कि हमारे दल को राजकीय विश्राम गृह ‘गीताजंलि’ पहुंचाने के लिए दो आपस में भीड़ ही गये।
त्रिपुरा सरकार का विश्राम गृह ‘गीताजंलि’ बेहद विशाल और खूबसूरत है। चारों और हरियाली, विशाल वृक्ष, रंग बिरंगे फूलों की क्यारियां और इन सबसे बढ़कर सफाई और शांति। भूतल पर बनी कैन्टीन में हमारी रुचि के सात्विक भोजन और स्टाफ के अति विनम्र व्यवहार ने यहां बिताते तीन दिनों को जीवन के अविस्मरणीय बना दिया।
जहां तक 21 जनवरी 1972 को अस्तित्व में त्रिपुरा का प्रश्न है पूर्वोत्तर का इस छोटे से राज्य की क्षेत्रफल 10486 वर्ग किमी है। इसकी एक सीमा बंगलादेश से लगती है। इसके नाम को लेकर अनेक मत है यथा कुछ के मतानुसार राधाकिशोरपुर की देवी त्रिपुर सुंदरी के नाम पर इसका नाम त्रिपुरा हुआ तो कुछ त्रिपुरा नाम को तीन नगरों की भूमि होने से जोड़ते हैं। ऐसे लोग भी है जो इस नाम को मिथकीय सम्राट त्रिपुर से जोड़ते हैं। जनजातीय मान्यताओं के अनुसार त्रिपुरा शब्द ‘तुई’ (भूमि) और ‘प्रा’ (जल)के संयोग से प्रकट हुआ। क्योंकि वास्तव में त्रिपुरा ‘भूमि और जल का मिलन स्थल’ ही है। यहां अठारह आदिवासी जनजातीय समाज है जिन में त्रिपुरी, रियांग, नोआतिया, जमातिया, चकमा, हालाम, मग, कुकी, गारो, लुशाई प्रमुख हैं। समृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाले इस राज्य में बंगला, काकबराक के अतिरिक्त हिंदी भी समझी एवं बोली जाती है। अतः किसी भी स्थान पर हमें अपनी बात समझाने अथवा उनकी समझने में कठिनाई नहीं हुई।
त्रिपुरा को राजे रजवाड़ों की धरती भी कहा जाता है। आज जब हर तरफ प्रदूषण है लेकिन त्रिपुरा को प्रदूषणविहीन राज्य माना जाता है। राज्य की राजधानी अगरतला के अतिरिक्त अमरपुर, अम्बासा, धर्मनगर, आनंदनगर, बेलोनिया, कैलाशहर, उदयपुर, विशालगढ यहां के प्रमुख नगर है। हमें अगरतला से 177 किमी दूर कैलाशहर अनुमंडल के निकट अर्थात् उत्तरी त्रिपुरा में स्थित ऊनाकोटि नामक स्थान पर भी जाना था लेकिन खराब मौसम के कारण नष्ट हुए तीन दिनों ने इस योजना को भी धो दिया। यहां यह विशेष रूप से स्मरणीय है कि शिव के सिर को उन्नकोटिश्वर काल भैरव कहा जाता है।
ऊनाकोटि पर्वतमाला के बारे में हमारे दल में शामिल श्री दीक्षित जी ने जानकारी दी कि यहाँ शिला पर उकेरे गए विभिन्न देवी-देवताओं के चित्र एवं भगवान शिव, गणेश, माँ दुर्गा, नंदी बैल की पत्थर की मूर्तियाँ देखने लायक हैं। 11वीं शताब्दी की बनी शिव और विशालकाय गणेश की मूर्ति विशेष रूप से दर्शनीय है। यह भी बताया गया कि यहाँ वसंत ऋतु में अशोक अष्टमी मेला लगता है।



अगरतला के अन्य दर्शनीय स्थलों में उज्जयंत पैलेस एक वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। 3 गुंबज वाले इस दोमंजिले महल की ऊंचाई 86 फुट है। बेशकीमती लकड़ी की नक्काशीदार भीतरी छत व इस की दीवारें देखने लायक हैं। महल परिसर में बना बगीचा ताजमहल की तरह ही प्रतीत होता है। कभी महाराजा वीर विक्रम माणिक का महल रहा यह स्थल अब त्रिपुरा राज्य संग्रहालय है। सुंदर रख रखाव के कारण इसका आकर्षण बरकरार है। वैसे इसके, अंदर चित्र लेना मना है।
जगन्नाथ मंदिर अपने अनूठे स्थापत्य के लिए विख्यात है। वहां उपस्थित स्वामी दरिद्र भंजन दास के अनुसार गौड़ीय मठ इस का प्रबन्धन देखता है। पुराना अगरतला का चौदह देव मंदिर जहां मूर्ति नहीं, सिहांसन पर चौदह चिन्ह हैं। इसकी
स्थापना 1760 में महाराज कृष्ण माणिक ने अपनी राजधानी उदयपुर से यहां लाने के अवसर पर की थी।
भारत बंगला देश सीमा अगरतला पर भी सूर्यास्त के समय दोनो देशो के सीमा सुरक्षा बल के जवान समारोह पूर्वक अपने अपने राष्ट्रीय ध्वज उतारते हैं और अगली सुबह फिर फहराते है । एक शाम हम भी ध्वजावतरण समारोह में शामिल हुए। लेकिन यहां न तो बाघा बार्डर जैसी भीड़ थी और न ही वैसा जोश, उत्साह, नारे। उस पार भी बहुत कम लोग। इसका कारण बंगलादेश से हमारी मित्रवत संबंध है जबकि पाकिस्तान लगातार अपनी हरकतों के कारण से तनाव बनाये रखता है। वहां तैनाव भिवानी हरियाणा का जवान उस समय प्रसन्न हुआ जब उसे पता चला कि मैं भी मूलतः हरियाणा से हूं और उसने अपने मोबाइल से मेरे साथ एक फोटो भी ली।
संक्षेप में कहें तो कभी बंगाल का अंग रहे त्रिपुरा पर बंगाल की सभ्यता, संस्कृति का प्रभाव है तो प्रकृति की विशेष कृपा है। चहूं ओर हरियाली है। - विनोद बब्बर9868211911, 7982170421
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Reviewed by rashtra kinkar
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