विश्व शांति को खतरा है पाकिस्तान-- डा. विनोद बब्बर

तीन युद्धों और कारगिल के बाद पिछले दिनों हुई घुसपैठ की घटनाओं के बावजूद हम समय -समय पर पाकिस्तान के बारे में अनेक भ्रम पाले रहने के रोग से ग्रस्त हैं लेकिन पाकिस्तान का नजरिया बिल्कुल स्पष्ट है। वह लगातार हमारी जड़े खोदने में लगा है। ताजा उदाहरण ‘शरीफ’ कहे जाने वाले पाकिस्तान प्रधानमंत्री का है जिसके चुने जाने पर हमने भारत-पाक में शांति की झूठी उम्मीदे लगाई थी। नवाज शरीफ ने कश्मीर को भारत से आजाद कराने और इसके लिए एक और जंग की बात कही है। उसके अनुसार ‘कश्मीर को आजाद कराना मेरा स्वप्न है। कश्मीर मुद्दे पर दोनों देशों के बीच कभी भी जंग हो सकती है।’ सारी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान भारत में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। उसके यहाँ आतंकियों को प्रशिक्षण शिविर चल रहे हैं। लेकिन सबकी आंखों में धूल झोंकते हुए नवाज शरीफ अपनी पाक में व्याप्त गरीबी के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराते हुए कहता है कि भारत द्वारा अपने हथियारों का जखीरा बढ़ाने के कारण पाकिस्तान भी ऐसा करने को विवश है।  यह संतोष की बात है कि हमारे प्रधानमंत्री जी ने फौरन शरीफ का प्रतिकार कर देश के स्वाभिमान की रक्षा की दिशा में एक कदम बढ़ाया है।
पाकिस्मान भारत का कितना मित्र है इसकी एक बानगी- इसी सप्ताह पाकिस्तान से आई मालगाड़ी से 22 किलो 600 ग्राम हेरोइन बरामद हुई जिसकी अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कीमत 113 करोड़ रुपये है। सारी दुनिया जानती है कि पाकिस्तानी उग्रवाद नशे के व्यापार से प्राप्त धन से फल-फूल रहा है। भारत के सर्वाधिक दुर्दांत अपराधी दाऊद को शरण देने और हमारे घरेलू मामलों में हस्तक्षेप की असफल कोशिशों को सारी दुनिया जानती है। हालिया विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मुस्लिम युवाओं को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी द्वारा बरगलाने की कोशिश की जानकारी दी तो बेशक राजनीति के कारण कुछ विवाद हुआ हो लेकिन उनकी इस बात को किसी ने भी गलत नहीं कहा क्योंकि पाकिस्तान के इरादे भारत से हुई हार का बदला लेने के हैं। वह सीधे हमसे भिड़ने की कुव्वत नहीं रखता इसलिए हमारे नासमझ बच्चों को गुमराह कर रहा है। इससे पूर्व देश की पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तानी सेना द्वारा हमारे दो सैनिकों का बेरहमी से सिर कलम करने के की अमानवीय समाचार ने इस भ्रम से पूरी तरह पर्दा हटा दिया था कि पाकिस्तान के साथ मधुर संबंध बनाने का प्रयासों का कभी कोई परिणाम निकल सकता है।
दरअसल पाकिस्तान का निर्माण जिस भारत विरोध की ग्रन्थी की बुनियाद पर हुआ था उसके शासक लगातार उसे खाद-पानी देने की कोशिशें करते रहे हैं। जिस जुल्फिकार अली भुट्टों की फांसी पर भारत में सर्वाधिक शोक मनाया गया कभी उसने भी ‘घास खाकर परमाणु बम बनाने और हजार साल तक जंग’ की बात कही थी। बेनजीर भी गद्दी पर बैइकर भारत विरोघी गतिविधियों को अंजाम देती रही। ऐसे तमाम तथ्य हैं जो पाकिस्तान के ‘कभी न सुधरने’ की गवाही देते हैं लेकिन भारत में एक शक्तिशाली लाबी ऐसी है जो पाकिस्तान से हर कीमत पर संबंध सुधारने के जिद्द पर आमादा है। अफसोस इस बात का भी है लगभग हर दल में ऐसे तत्व मौजूद हैं जो यह समझने को तैयार नहीं कि  पाकिस्तान और उसकी भारत से नफरत एक साथ ही खत्म हांे सकती है।
स्वयं पाकिस्तानी विद्वान स्वीकारते हैं कि वहां की र्शैक्षणिक पुस्तकों में भारत तथा यहां पैदा हुए धर्मों के प्रति अनादर वाली सामग्री मौजूद है जिसका उद्देश्य आने वाली पीढ़ियों में भी भारत के प्रति विद्वेष को बनाये रखना है क्योंकि उन्हें भय है कि यदि ‘हिन्दू और मुसलमान दो कौम हैं’ जैसे नारे की असलियत सामने आ गई तो पाकिस्तान के अलग आस्तित्व पर ही प्रश्न-चिन्ह लग सकता है। यह भी समझने की जरूरत है कि पाकिस्तान कश्मीर पर अपना दावा किसी भौगोलिक अथवा  ऐतिहासिक कारणों के कारण से नहीं वरन्  धर्म के कारण करता  हैं अतः उसे मित्रता से अथवा मदद देकर अथवा किसी शरीफ के रहते सही राह पर लाये जाने की कल्पना मूर्खतापूर्ण ही कही जाएगी।
खुद अपनी ही सेना से भयभीत नवाज शरीफ तरह-तरह के पैंतरे बदल रहे हैं। कारगिल युद्ध को अपने उस समय के सेनाध्यक्ष मुशर्रफ की कारगुजारी कह कर नवाज शरीफ सारी दुनिया को धोखा देते रहे लेकिन आज उनका भारत के विरूद्ध उन्मादी बयान देना किसी मुशर्रफ के कारण से नहीं हो सकता। इस बयान ने यह साबित कर दिया है कि उस समय भी ‘शरीफ’ पूरी तरह से शरीफ नहीं थे। सारी दुनिया में अपनी थू-थू होने पर उन्होंने मुशर्रफ को आड़ बनाया था।
भारत के मुसलमानों की बात करने वाले पाकिस्तान को अपने घर में हिन्दुओं तथा अन्य धर्मालम्बियों की स्थिति की चिंता करनी चाहिए। उसे अपना घर संभालना चाहिए जहाँ सिंध, बलुचिस्तान और पश्चिमी प्रांत के लोग यह मानते हैं कि पाकिस्तान के नाम वहां के पंजाब के लोगों ने उन पर कब्जा कर रखा है।
भारत के लिये पाकिस्तान को निपटाना कोई कठिन काम नहीं है। विश्व ने भारतीय सेना की वीरता और पराक्रम का लोहा माना है  क्योंकि हमारी सेना एक व्यवसायिक सेना है  जबकि पाकिस्तानी सेना धर्मांध होकर ऐसी राह पर चल पड़ी है जहां अब सिवाय आंतक फैलाने के उसके पास कोई मार्ग नहीं है। यह सत्य है कि युद्ध अंतिम विकल्प होना चाहिए। उससे बचना चाहिए लेकिन राष्ट्र के स्वाभिमान से समझौता करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता। नवाज शरीफ के युद्धोन्मादी बयान पर हमारे माननीय  प्रधानमंत्री ने ठीक कहा है कि उनके जिंदा रहते पाकिस्तान जीत नहीं सकता। मनमोहन सिंह ही क्यों, एक भी भारतीय के रहते भारत की अस्मिता से खिलवाड़ बर्दास्त नहीं हो सकता।
लगातार विपरीत परिस्थितियों के परिणाम और पाकिस्तान के सुधरने की हर उम्मीद झूठी साबित होने के बाद क्या यह उचित नहीं होगा कि हम भी ‘जैसे को तैसा’ की नीति अपनाए और पाक अधिकृत कश्मीर, लाहौर, ननकाना साहिब आदि पर न केवल अपना दावा करें बल्कि अपने इरादें भी प्रकट करें। हमें यह भी सार्वजनिक रूप से दोहराना चाहिए कि युद्ध में जीता लाहौर आदि पाकिस्तान को लौटाना हमारी भूल थी लेकिन भविष्य में ऐसी कोई गलती हर्गिज नहीं की जाएगी। यह भी दृढ़ता से स्पष्ट किया जाए कि भविष्य में जब भी बातचीत होगी वह केवल और केवल ‘पाक अधिकृत कश्मीर’ पर ही होगी। इसके साथ हमें अपनी व्यवस्था भी चुस्त-दुरूस्त बनानी चाहिए। सीमापार से आने घुसपैठियें आखिर उड़कर तो आते नहीं है। आधुनिकतम तकनीक का उपयोग कर सीमाओं को सीलबंद करना चाहिए। किसी को चोर कहने से पहले हमें अपना घर संभालना चाहिए। स्वयं को लगातार मजबूत बनाये बिना हम असुरक्षित रहेगे। विकास के पथ में आगे बढ़ते हुए हर नागरिक को सैनिक प्रशिक्षण, शिक्षा में सच्ची धर्मनिरपेक्षता, व्यवहार में तुष्टीकरण का परित्याग कर सारी दुनिया के साथ-साथ हम पाकिस्तानी के हर नागरिक को यह संदेश दे सकते हैं कि भारत में हर धर्म सुरक्षित है क्योंकि यहाँ मनमानी की छूट नहीं है। कट्टरता और धर्मान्ध का त्याग कर भारतीय नागरिक पाकिस्तान से ज्यादा खुशहाल हैं।
यहाँ यह स्मरणीय है कि  नासमझ पाकिस्तान अपने ही पाले हुए धर्मान्ध आत्मघातियों के हाथों लगातार अशांत बना हुआ है। वह विश्व शांति के लिए खतरा है। ऐसे में हमें बहुत सजग रहना होगा क्योंकि कोई भी सभ्य राष्ट्र लम्बे समय तक खतरें के प्रति आंखे मूंदे नहीं रह सकता। हमें हर प्रकार के भ्रम को त्याग कर ‘नापाक’ पाकिस्तान के लिए अपने मन-मस्तिष्क में बनाई नरम ग्रन्थी को तिरोहित करना ही होगा वरना आने वाले नस्लें वर्तमान नेतृत्व को कभी क्षमा नहीं करेगी।

विश्व शांति को खतरा है पाकिस्तान-- डा. विनोद बब्बर विश्व शांति को खतरा है पाकिस्तान-- डा. विनोद बब्बर Reviewed by rashtra kinkar on 02:53 Rating: 5

No comments