महिला अपराध: घर-बाहर की चुनौतियाँ- समस्या और समाधानपर ‘हम सब साथ-साथ’ की संगोष्ठी
गत रविवार हम सब साथ-साथ केक तत्वावधान में सुरभि संगोष्ठी के सहयोग से नागलोई मैट्रो स्टेशन के पास म‘महिला अपराधरू घर-बाहर की चुनोतियाँ, समस्या और समाधान’ विषय पर एक महत्वपूर्ण परिचर्चा संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी से लगभग एक माह पूर्व में देश भर से प्रविष्ठियां आमंत्रित की गई। प्राप्त प्रविष्ठियों में से चुनींदा 18 प्रतिभागियों को इस संगोष्ठी में आमंत्रित किया गया। विभिन्न आयु वर्ग के इन प्रतिभागियों ने सारगर्भित व तर्कपूर्ण विचार प्रस्तुत करते हुए इस विषय पर गहन चिंतन-मनन किया। हालांकि कुछ वक्ताओं ने महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों के लिए पुरुष मानसिकता को दोषी ठहराया लेकिन अधिकांश वक्ताओं ने इलैक्ट्रोनिक मीडिया द्वारा वातावरण को कलुषित किए जाने को जिम्मेवार ठहराया। यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि ऐसे विचार प्रस्तुत करने वाली प्रबुद्ध महिला वक्ताओं ने महिला उन्नति का श्रेय अपने परिवार के पुरूष सदस्यों को देने में कोई कंजूसी नहीं बरती। एक महिला वक्ता ने भड़कीले पहनावे को उत्तेजक वातवरण के लिए जिम्मेवार ठहराते हुए कहा, ‘जो लोग इस बात से सहमत नहीं है और पांच वर्ष की बच्ची या 70वर्ष की बुढ़िया से दुष्कर्म का तर्क देते हैं वे भूल जाते हैं कि उत्तेजक वातावरण का प्रभाव भटके हुओं को किसी भी सीमा तक ले जाता है। सभी ने अपने अपने ढ़ंग से कारण और निवारण पर प्रकाश डाला। निर्णायक मंडल के श्री अरविन्द पथिक, डा.पूरण सिंह एवं सुश्री कादम्बिनी पाठक ने प्रतिभागियों के तर्को और उनकी प्रस्तुति को कसौटी पर कसते हुए अंक प्रदान किए जिनके आधार पर अंतिम निर्णय दिया गया। प्रथम पुरस्कार तीन प्रतिभागियों सर्वश्री अल्पना सुहासिनी (गज़ियाबाद), कमला सिंह ज़ीनत (दिल्ली) एवं आशा शर्मा (बीकानेर), द्वितीय पुरस्कार चार प्रतिभागियों सर्वश्री पूनम मटिया, आनंद सोनी (दिल्ली), स्नेहलता (गाज़ियाबाद) एवं रघुनाथ मिश्र (कोटा) और विशेष पुरस्कार सर्वश्री नरेश मलिक, अंजू शर्मा (दिल्ली) व रानू शर्मा (कासगंज) को प्रदान किये गये।
मंच पर विराजित विशिष्ट अतिथियों में टीवी फिल्मो से जुडे श्री प्रदीप जैन ने इस महत्वपूर्ण संवाद के लिए कार्यक्रम संयोजक श्री किशोर श्रीवास्तव को बधाई दी तो गोरखपुर से पधारे शिक्षाविद श्री आरबी यादव ने ग्रामीण परिवेश में अभावों के बावजूद आगे बढ़ रही बेटियों का उल्लेख किया। समाजसेवी डॉ.के चौधरी ने दहेज को अभिशाप बताते हुए लेने और देने वाले दोनों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की मुद्दा उठाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्र किंकर के संपादक श्री विनोद बब्बर ने बेटियों को ‘सजग, शिक्षित, स्वाभिमानी’ बनाने पर बल देते हुए कहा कि इन गुणों की अनुपस्थिति ही हर अपराध का मूल है।’ निर्भया कांड के दोषियों के लिए कठोरतम सजा की वकालत करते हुए उनका मत था, ‘यदि निर्भया सजग होती और इतनी देर रात खाली चार्टेड बस की बजाय कोई दूसरा विकल्प चुनती तो शायद इस शर्मनाक घटना से बचा जा सकता था।’
संगोष्ठी का संचालन करते हुए जाने-माने रंगकर्मी, साहित्यकार, कार्टूनिस्ट श्री किशोर श्रीवास्तव ने अपने विशिष्ट अंदाज से वातावरण को जीवंत बनाए रखा। इसके अतिरिक्त राजीव तनेजा, संजू तनेजा, वीके बोस एवं शशि श्रीवास्तव का कुशल प्रबंधन इस संगोष्ठी की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी कही जा सकती है। राजधानी और आसपास के अनेक प्रबुद्ध नागरिक, पत्रकार, कवि व सामाजिक कार्यकर्ता की उपस्थिति ने संगोष्ठी को अतिरिक्त गरिमा प्रदान की। कुल मिलाकर अपनी तरह का यह प्रथम संवाद श्रेष्ठ व सारगर्भित विचारों के लिए याद किया जाएगा।
मंच पर विराजित विशिष्ट अतिथियों में टीवी फिल्मो से जुडे श्री प्रदीप जैन ने इस महत्वपूर्ण संवाद के लिए कार्यक्रम संयोजक श्री किशोर श्रीवास्तव को बधाई दी तो गोरखपुर से पधारे शिक्षाविद श्री आरबी यादव ने ग्रामीण परिवेश में अभावों के बावजूद आगे बढ़ रही बेटियों का उल्लेख किया। समाजसेवी डॉ.के चौधरी ने दहेज को अभिशाप बताते हुए लेने और देने वाले दोनों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की मुद्दा उठाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्र किंकर के संपादक श्री विनोद बब्बर ने बेटियों को ‘सजग, शिक्षित, स्वाभिमानी’ न बनाने पर बल देते हुए कहा कि इन गुणों की अनुपस्थिति ही हर अपराध का मूल है।’ निर्भया कांड के दोषियों के लिए कठोरतम सजा की वकालत करते हुए उनका मत था, ‘यदि निर्भया सजग होती और इतनी देर रात खाली चार्टेड बस की बजाय कोई दूसरा विकल्प चुनती तो शायद इस शर्मनाक घटना से बचा जा सकता था।’
संगोष्ठी का संचालन करते हुए जाने-माने रंगकर्मी, साहित्यकार, कार्टूनिस्ट श्री किशोर श्रीवास्तव ने अपने विशिष्ट अंदाज से वातावरण को जीवंत बनाए रखा। इसके अतिरिक्त राजीव तनेजा, संजू तनेजा, वीके बोस एवं शशि श्रीवास्तव का कुशल प्रबंधन इस संगोष्ठी की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी कही जा सकती है। राजधानी और आसपास के अनेक प्रबुद्ध नागरिक, पत्रकार, कवि व सामाजिक कार्यकर्ता की उपस्थिति ने संगोष्ठी को अतिरिक्त गरिमा प्रदान की। कुल मिलाकर अपनी तरह का यह प्रथम संवाद श्रेष्ठ व सारगर्भित विचारों के लिए याद किया जाएगा।
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Reviewed by rashtra kinkar
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bahut hi acchi rapat..shukriya rashtra kinkar...
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