नागपुर प्रवास के 32 घंटे Chankya in Nagpur on 27 Oct 2016


मेरा मानना है कि चाणक्य केवल चंद्रगुप्त मौर्य के शिक्षक और मार्गदर्शक नहीं थे बल्कि आज भी हर विवेकशील व्यक्ति को चाणक्य अपने मार्गदर्शक प्रतीत होते हैं। महात्मा चाणक्य तक्षशिला में दुनियाभर के छात्रों को श्रेष्ठ ज्ञान दिया करते थे लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि तक्षशिला को हमारे अदूरदर्शी नेताओं ने विभाजन स्वीकार कर गवां दिया। आज तक्षशिला की वह पवित्र भूमि उस पाकिस्तान का हिस्सा है जहां आज ट्रैनिंग कैम्प लगाकर आतंकवाद की शिक्षा दी जाती है। पाकिस्तान विश्व का सबसे बड़ा आतंक निर्यातक है।
चंद्रगुप्त मौर्य ने भारत के प्रथम चक्रवर्ती सम्राट होने का गौरव प्राप्त किया, उसका श्रेय महात्मा चाणक्य को है। दूरदर्शी महात्मा चाणक्य ने इस राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने के लिए प्रयास किया। ऐसे महामानव इस धरा पर बार-बार नहीं आते। उनका एक बार का पदार्पण ही हजारों लाखों वर्षों तक मानवता का रास्ता दिखाता रहता है। चाणक्य केवल राजनीति के पंडित नहीं थे। वे कौटिल्य के रूप अर्थशास्त्री थे तो दूरदर्शी शिक्षक, अध्येता और प्रबंधन के विशारद थें। उनकी लगभग हर विषय पर बहुत अच्छी पकड़ थी। त्याग की प्रतिमूर्ति चाणक्य के विचार आज भी समान रूप से प्रासंगिक हैं। आज भी राष्ट्र के प्रति उतनी ही जागरूकता की आवश्यकता है जितनी 2500 वर्ष पूर्व थी।
सच ही कहा था दूरदर्शी स्पष्टवादी चाणक्य ने- ‘इस राष्ट्र को आक्रांताओं की दुर्जनता से इतनी हानि नहीं हुई जितनी स्वजनों की निष्क्रियता से हुई है।’ कटु सत्य तो यह है कि आज भी हम अपने राष्ट्रहितों के प्रति निष्क्रिय ही तो है। काश! हमारे राजनेता चाणक्य से कुछ सीख पाते तो इतिहास के साथ-साथ भूगोल भी बदल सकता था। लेकिन .अभी भी देरी नहीं हुई है। इस प्रकाशपर्व पर ईश्वर हर भारतीय के इस मानसिक तम को भी दूर करें।-- विनोद बब्बर 9868211911
नागपुर प्रवास के 32 घंटे Chankya in Nagpur on 27 Oct 2016
Reviewed by rashtra kinkar
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शायद ही कोई सामाजिक विचारक हो, जिसने चाणक्य की अहमियत को कमोबेश स्वीकार न किया हो...
ReplyDeleteअद्भुत महात्मा को बारम्बार नमन __/\__