नागपुर प्रवास के 32 घंटे Chankya in Nagpur on 27 Oct 2016






मेरे नागपुर प्रवास के 32 घंटे में 2 घंटे चाणक्य का सान्निध्य  महत्वपूर्ण है। वास्तव में 27 अक्टूबर लोकमत भवन की आर्ट गैलरी में यशस्वी युवा लेखक रवि शुक्ला की पुस्तक ‘कूड़ेदान में बचपन’ के लोकार्पण समारोह में लोकमत के चेयरमैन और राज्यसभा सदस्य रहे श्री विजय दर्डा जी ने लोकमत की 20वीं वर्षगांठ पर उसी शाम नागपुर के देशपांडे सभागार में आयोजित चाणक्य नाट्य मंचन कार्यक्रम में भाग लेने का आग्रह किया। देश के प्रसिद्ध कलाकार निदेशक मनोज जोशी के इस बहुचर्चित नाटक का 998वां का मंचन था। वास्तविकता यह है कि चाणक्य मुझे बहुत प्रिय है। इसके लिए मैं किसी भी महत्वपूर्ण कार्यक्रम को छोड़ सकता हूं। जो मैंने किया भी। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में फेरबदल कर हम उस सभागार में पहुंचे जहां मंचयन होना था। विशाल सभागार के प्रांगण में परम्परागत ढ़ंग से साज-सज्जा देखकर बहुत अच्छा लगा। जगह-जगह जलती मशाले। मराठी सैनिक वेश में रक्षक, ढ़ोल, नगाड़े, बिगुल वादन सब कुछ अद्भुत। लोकमत हिंदी के संपादक श्री विकास मिश्र जी ने हमारा स्वागत किया।

दो घंटे देशपांडे सभागार में केवल और केवल चाणक्यमय होकर हजारो दर्शकों में शामिल मैं भी कलाकारों के बेजोड़ अभिनय और प्रभावी  और चुटकीले संवादों से अभिभूत था। हर अच्छे संवाद पर जोरदार करतल ध्वनि से सभागार को गूंजा देते। सभागार तो खचाखच भरा ही था, बाहर भी विशाल स्कीन लगी थी जहां सैंकड़ों लोग हल्की सर्दी के बावजूद अंत तक जमे रहे।  यूं तो चाणक्य के प्रति हर देशभक्त को श्रद्धा है लेकिन इस नाटक का हर घटक प्रभावशाली है यही इसकी लोकप्रियता का मुख्य कारण माना जाता है। उस नाटक के साक्षात्कार ने मुझे एक बार फिर से चाणक्य के संपूर्ण जीवन को पढ़ने का अवसर दिया। 
मेरा मानना है कि चाणक्य केवल चंद्रगुप्त मौर्य के शिक्षक और मार्गदर्शक नहीं थे बल्कि आज भी हर विवेकशील व्यक्ति को चाणक्य अपने मार्गदर्शक प्रतीत होते हैं। महात्मा चाणक्य तक्षशिला में दुनियाभर के छात्रों को श्रेष्ठ ज्ञान दिया करते थे लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि तक्षशिला को हमारे अदूरदर्शी नेताओं ने विभाजन स्वीकार कर गवां दिया। आज तक्षशिला की वह पवित्र भूमि उस पाकिस्तान का हिस्सा है जहां आज ट्रैनिंग कैम्प लगाकर आतंकवाद की शिक्षा दी जाती है। पाकिस्तान विश्व का सबसे बड़ा आतंक निर्यातक है। 
चंद्रगुप्त मौर्य ने भारत के प्रथम चक्रवर्ती सम्राट होने का गौरव प्राप्त किया, उसका श्रेय महात्मा चाणक्य को है। दूरदर्शी महात्मा चाणक्य ने इस राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने के लिए प्रयास किया। ऐसे महामानव इस धरा पर बार-बार नहीं आते। उनका एक बार का पदार्पण ही हजारों लाखों वर्षों तक मानवता का रास्ता दिखाता रहता है। चाणक्य केवल राजनीति के पंडित नहीं थे। वे कौटिल्य के रूप अर्थशास्त्री थे तो दूरदर्शी शिक्षक, अध्येता और प्रबंधन के विशारद थें। उनकी लगभग हर विषय पर बहुत अच्छी पकड़ थी। त्याग की प्रतिमूर्ति चाणक्य के विचार आज भी समान रूप से प्रासंगिक हैं। आज भी राष्ट्र के प्रति उतनी ही जागरूकता की आवश्यकता है जितनी 2500 वर्ष पूर्व थी। 
सच ही कहा था दूरदर्शी स्पष्टवादी चाणक्य ने- ‘इस राष्ट्र को आक्रांताओं की दुर्जनता से इतनी हानि नहीं हुई जितनी स्वजनों की निष्क्रियता से हुई है।’ कटु सत्य तो यह है कि आज भी हम अपने राष्ट्रहितों के प्रति निष्क्रिय ही तो है। काश! हमारे राजनेता चाणक्य से कुछ सीख पाते तो इतिहास के साथ-साथ भूगोल भी बदल सकता था। लेकिन .अभी भी देरी नहीं हुई है। इस प्रकाशपर्व पर ईश्वर हर भारतीय के इस मानसिक तम को भी दूर करें।-- विनोद बब्बर 9868211911 



नागपुर प्रवास के 32 घंटे Chankya in Nagpur on 27 Oct 2016  नागपुर प्रवास के 32 घंटे  Chankya in Nagpur on 27 Oct 2016 Reviewed by rashtra kinkar on 03:25 Rating: 5

1 comment

  1. शायद ही कोई सामाजिक विचारक हो, जिसने चाणक्य की अहमियत को कमोबेश स्वीकार न किया हो...
    अद्भुत महात्मा को बारम्बार नमन __/\__

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