व्यंग्य----महिमा शनि की

इंसान बड़ा शैतान होता है जो अकारण किसी को देवता नहीं मानता। मौका मिले तो खुद को ही खुदा से कम नहीं मानता। उसने प्रकृति की संहारक शक्तियों से डरकर या स्वार्थ के कारण ही देवता पूजे। प्रचंडवेग के कारण वायु को, प्रखर तेज के कारण सूर्य को, भस्मकारी शक्ति के कारण अग्नि को, अपरिमित शक्ति के कारण पृथ्वी को, मृत्यु के भय से यमराज को देवता मानने वाले इंसान ने और भी बहुत से देवता बनाये।  पर मैं सर्वप्रथम शनिदेवता को साष्टांग प्रणाम करता हूँ क्योंकि अन्य देव तो थोड़ा झुकने पर भी प्रसन्न हो जाते हैं पर शनिदेव पूरा लंबा लेटने पर ही कृपालु होते हैं। मैं ही क्यों, सभी नक्ष., रािशयां तक उनसे खौफ खाती हैं। गणेश जी तो बिना बात खफा नहीं होते पर शनिदेव का कोई भरोसा नहीं कब नाराज हो जाए। इसलिए हम गणेशजी से पूर्व उनकी वंदना करते हैं। खगोल शास्त्रियों ने शनि की खोज की पर ज्योतिषियों ने इन्हें पूर्ण प्रभावी बना दिया।
नील वसन, रक्तिम नेत्र, हाथ में परशु, त्रिशुल और गदा, चतुर्भुज, गजवाहन इनका दिव्य स्वरूप है। कहा जाता है ये सूर्य पुत्र हैं। एक बार स्वयं को सर्वश्रेष्ठ घोषित कराने  की धुन सवार हुई। मामला अटक गया क्योंकि कोई भी शनिदेव को छोटा बताकर फंसना नहीं चाहता था। नारद धर्मसंकट में संकटमोचन बने। उन्होंने लक्ष्मी से तुलना में शनि का समझाया, ‘लक्ष्मी आती अच्छी लगती है पर आप जाते अच्छे लगते हैं।’ शनि के बारे में और भी बहत सी दंतकथाएं है। पर किसी की क्या मजाल जो इन कथाओं पर अंगुली उठाये।
कलयुग में शनि की बहुत महिमा है। पटरी से अति आधुनिक एसी आफिस में बैठे ज्योतिषी शनि की कृपा से अपनी रोजी-रोटी का जुगाड़ कर रहे है। शनि का प्रकोप शांत करवाने वाले ऐसे ही असख्ंय परिवारों की क्षुधा शांत करते हैं। सवा पांच से, सवा पांच सौ, सवा पांच हजार, सवा इक्यावन हजार तक जैसी असामी वैसे शनि और वैसा शनि ग्रह शांति अनुष्ठान।
शनि की महिमा अपरमपार है इसीलिए तो हर शनिवार सूर्य निकलते ही ‘शनि.....देव!’ का उद्घोष  बाल्टी सहित आपके द्वार तक आ पहुचता है। वैसे अगर आप भी देर से बिस्तर छोड़ने के कारण डोर टू डोर शनि सुविधा का लाभ नहीं ले सके तो निराश न हो, घर से निकलते ही बसस्टैंड के आसपास, फुटपाथ पर, चौराहे पर या ऐसे ही किसी स्थान पर विराजित शनि आपकी प्रतीक्षा करते नजर आएंगे। इसमें आश्चर्य की बात नहीं है कि देखते ही देखते माल गायब हो जाने के ढ़ेरो समाचार सुनने को मिलते हैं पर चौराहे पर रखे सिक्कों से भरे शनिपात्र को हाथ लगाने की हिम्मत किसी में नहीं। आम आदमी तो खैर धर्मभीरू होता ही है पर चोर, जेबकतरा भी पास से गुजरता है तो श्रद्धा से हाथ जोड़कर कुछ डालकर ही आगे बढ़ता है।
कहते है शनि का प्रभाव लंबे समय तक रहता है पर डोर टू डोर आवाज देने वाले शनि भक्त से उपाय कराते ही शनि तुरंत शांत हो जाते है। शाम तक की कौन कहे, दोपहर तक ही बाल्टी सरसों के तेल से फुल, झोली में लोहा, तिल, उड़द, वस्त्र और न जाने क्या-क्या भरे ये शनि के भक्त अपने-अपने इलाके के ठेकेदार होते हैं। क्या मजाल कि कोई दूसरा शनि इनके इलाके में पर मार जाए। इधर शनि की बढ़ती भक्ति ने टीवी पर इसकी महिमा सुनाने वालों को काम दिया है तो आम मंदिरों में भी शनि की मूर्ति विराजित होने लगी है। शनि कृपा करे तो सब मालामाल और उसकी नजर टेढ़ी होते ही सब खाक में.! हैरानी की बात है कि आज तक किसी शनिभक्त ने हमारे रक्षामंत्री जी को यह सुझाव नहीं दिया कि अपने हथियार बढ़ाने से ज्यादा चिंता यदि शनि को दुश्मनों के घर विराजने का अनुष्ठान करवाये तो ज्यादा बेहतर होगा।
शनिदेव से अपुन को बहुत डर लगता है पर जब से फाइव डे वीक हुआ सरकारी शनि खूब मौज लेते है। सब पर भारी शनि की शुक्र और सोम से बहुत पटती है। अब आप कहेंगे कि रवि ने शनि का क्या बिगाड़ा जो उसके बारे में कुछ नहीं कहा। तो सुनो रवि तो हमेशा से ही शनि को सहारा देता है पर इधर शुक्र और उधर सोम भी साथ दे दे तो सरकारी शनि किसी हिल स्टेशन पर जा बिराजते हैं।
चलते-चलते अंदर की एक बात भी बताता चलू लेकिन आपको कसम शनि की है जो किसी को बताया। किसी जमाने में हमारी परचून की दुकान हुआ करती थी।  दाल नमक तेल खरीदने वाले दूर-दूर से आते थे क्योंकि बढ़िया माल और कम दाम की गारंटी थी। एक ग्राहक कई वर्षो से आता था। बहुत मिलनसार भी था। एक बार आया तो चेहरा उतरा हुआ था। पूछने पर बोला- ‘बेटा बहुत बीमार है। इलाज पर हजारो खर्च हो चुके हैं। जेब खाली है, दवा तक के पैसे नहीं। उधार मैं लेना नहीं चाहता। मैंने अपने गांव से दो कनस्तर तेल मंगवाया था। तेल बहुत बढ़िया है यदि आप उचित समझो तो एक कनस्तर आप ले ले। आप जिस थोक भाव खरीदते हो उससे भी दस पांच कम दे देना।’ तब हम सचमुच सीधे से अधिक साधे थे। तुरंत बोले-‘अरे यह क्या कह रहे है। कम क्यों देंगे, पूरे देंगे। आप कनस्तर ले आओ। तोल कर पूरे पैसे ले जाओं।’ तो साहिब कनस्तर आ गया और छटाक आध पाव नापते-नापते शाम तक खाली भी हो गया। कुछ दिन बीते तो वह ‘सज्जन’ फिर हाजिर था। फिर मुंह लटकाये। बेटे का हालचाल पूछने पर बोला, ‘क्या बताऊ साहब, अपनी तो किस्मत ही खराब है। अभी खास सुधार नहीं है। अगर आप कृपा करे तो दूसरा कनस्तर भी ले ले। मैं बाद में गांव से मंगवा लूंगा।’ तो साहिब हमने दूसरे कनस्तर की भी हामी भर दी। थोड़ी देर बाद उसका बड़ा बेटा साईकिल पर कनस्तर लिए हाजिर हुआ। तोल के बाद पैसे उसके हाथ में थमाते हुए न जाने कैसे हमारे मुंह से निकला, ‘बेटा इतना तेल कहां से लाते हो?’ उसने तपाक से जबाव दिया, ‘हमारी चार बाल्टी चलती है। हर हफ्ते एक कनस्तर हो ही जाता है।’ इतना सुनते ही शनि  हमारी आंखों में तैरने लगा। लड़का होशियार था, जब तक हम पैसे वापस लेते वह साईकिल की घंटी बजाते हुए गिायब हो गया। हम उसी दिन से उस ‘सज्जन’ की तलाश में इस चौराहे से उस चौराहे तक, इस बस्ती से उस बस्ती तक, मंदिर से पुजारी तक चक्कर लगा रहे हैं पर फिलहाल सफलता नहीं लगी। शनिदेव माफ करे, न करे  हम उस कमबख्त शनिभक्त को कदापि माफ नहीं कर सकते। अगर आपकी भी शनि से पटती हो तो कम से कम हमारी इस रिक्वेस्ट को उन तक पहुंचाओं- हे शनिदेव कभी बुद्धिहीनों को भी लाइन लगवाओ।  ----- डा. विनोद बब्बर

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1 comment

  1. शनि की शान्ति के लिए
    घोड़े की नाल का उपयोग लाभदायक होता है।

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