कश्मीरः आपदा पर भारी राष्ट्रीय एकता की शक्ति-- डा. विनोद बब्बर

हर चुनौती अपने साथ एक अवसर भी लेकर आती है। भारत के मुकुट प्रदेश जम्मू-कश्मीर में आई अभूतपूर्व बाढ़ ने जनजीवन को न केवल बुरी तरह बाधित किया बल्कि भारी जान-माल का नुकसान भी हुआ। प्रधानमंत्री ने तत्काल कश्मीर के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों को हवाई निरीक्षण कर तत्काल 1000 करोड़ की मदद की घोषणा की। उन्होंने अपने मंत्रीमंडल के सभी सदस्यों को अधिकतम राहत पहुंचाने का निर्देश भी दिया। अनेक केन्द्रीय मंत्रियों ने वहीं डेरा डाल राहत कार्यों को गति दी। सेेना ने अपनी विशिष्ट तकनीक और प्रतिभा का परिचय देते हुए कुछ ही घंटों में टूटे हुए पुल के बदल नदी पर पुल बनाकर  सम्पर्क बहाल किया। हेलिकोप्टर लगातार राहत सामग्री पहुंचाते रहेें तो जलसेना (नेवी) के जवानों ने फंसे लोगों को निकालने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पूरे देश से राहत सामग्री भेजी जा रही है। प्रधानमंत्री जी ने सभी देशवासियों को इस राष्ट्रीय आपदा की घड़ी में हर संभव सहयोग की अपील की। उन्होंने अपने समर्थकों से 17 सितम्बर को अपने जन्मदिवस पर किसी भी प्रकार की धूमधाम दिखावे पर होने वाले खर्च को बाढ़ पीडितों 
बेशक कश्मीर में सक्रिय कुछ नासमझ अलगाववादी लगातार भारत को कोसते रहे हैं लेकिन सम्पूर्ण भारत ने सदैव की भांति इस बार भी कश्मीर पर आई इस आपदा का सामना करने और राहत कार्यों के लिए जिस तत्परता और उदारता का परिचय दिया उसकी न केवल सारा विश्व प्रशंसा कर रहा है बल्कि कश्मीर के लोग भी महसूस कर रहे हैं कि यदि भारत सेना के तीनों  अंगों के जवान तत्काल आधुनिकतम उपकरणों के साथ मदद के लिए उपस्थित न होते तो होने वाले विनाश की कल्पना ही सिहरन पैदा कर सकती है। यहां तक कि अलगाववादी नेता को भी सेना ने बचाया है। आश्चर्य की बात है कि राहत कार्यों से दूर मौन रहे कुछ सिरफिरे अलगाववादी फिर से दुष्प्रचार पर उतर आए है। केन्द्र की मोदी सरकार के राजनैतिक आलोचक रहे जम्मू कश्मीर  के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कश्मीर में दुष्प्रचार करने वालों को कड़ा जवाब देते हुए कहा है कि सेना, वायुसेना, नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स के बचाव अभियान का सबसे अधिक फायदा घाटी के निवासियों को हुआ है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया- बचाव दलों ने कश्मीर में अपने घरों में फंसे एक लाख से अधिक लोगों को बचाया। 20 हजार से अधिक कश्मीरियों को हेलिकोप्टर से बचाया गया। उमर के अनुसार केवल सेना ने ही 60 हजार से अधिक लोगों को बचाया है। बाढ़ में फंसे हर उस व्यक्ति को बचाने की कोशिश की गई जिस तक पहुंचा जा सकता था। 
यही नहीं, हर धर्म, सम्प्रदाय के लोग बाढ़ पीड़ितो की मदद के लिए आगे आ रहे हैं जिसे भारतीय जनमानस के हृदय में सदियों से विराजित धर्मनिरपेक्षता की जीत कहा जाना चाहिए। श्रीनगर के शहीद बुंगा बार्जुला बागाहाट गुरुद्वारे  में अलग-अलग समुदायों हजारों लोग रह रहे हैं। इस गुरुद्वारे में ही तीनों वक्त हजारों लोगों के खाना भी बनाया जाता है। मेडिकल कैंप में मुफ्त इलाज हो रहा है और उन्हें मुफ्त में दवाइयां भी दी जा रही हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इस मेडिकल कैंप में पीड़ितों की सेवा में जी-जान से जुटे लोगों के अपने घर भी पानी में डूबे हैं और वे भी  इस बाढ़ में बहुत कुछ खो चुके हैं। इस गुरुद्वारे से कुछ ही मीटर दूर एक स्थानीय मस्जिद में चल रहे राहत शिविर में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों सहित करीब 500 परिवार रह रहे हैं। मस्जिद के कार्यकर्ताओं के अनुसार- उन्होंने अपने सिख भाइयों से लंगर की अवधारणा ली और सूखा अनाज देने के बजाए यहां रहने वाले लोगों को पका-पकाया खाना परोसा जा रहा है। उनके अनुसार- बाढ़ के कारण  फंसे कई पर्यटक भी मस्जिद में ठहरे हुए हैं। सभी कश्मीर के लोगों के प्यार से वे अभिभूत हैं।
यहां यह विशेष रूप से उललेखनीय है कि बाढ़ से तबाह जम्मू-कश्मीर में सेना के सेवाभाव और समर्पण की तारीफ करने वालों में पड़ोसी देश पाकिस्तान भी शामिल है। कश्मीर घाटी में बाढ़ में फंसी पाकिस्तान की सांसद आयशा जावेद और उनके साथियों ने भारतीय सेना की जमकर तारीफ करते हुए आर्मी को सलाम किया है। मीडिया से बात करते हुए आयशा ने कहा कि भारतीय सेना ने शानदार काम किया है। भारतीय थलसेना और वायुसेना के जवानों  ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नेशनल) की सांसद और उनके कुछ साथियों को  श्रीनगर में सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। पाकिस्तान से आए ये सभी लोग एक होटल में ठहरे हुए थे। बाढ़ के पानी से घिरने के बाद हमारी सेना ने उन्हें बचाया। 
सेना के जवानों ने हर खतरा सहकर भी पीड़ितों का बचाया। एक राहत दल के अनुसार-‘एक  खतरनाक इलाके में अपनी पहचान छुपाने कर सिविल ड्रेस में सुमो गाड़ी से चले तो एक स्थान पर पहुंचने के बाद अहसास हुआ कि अब यहां से गाड़ी आगे नहीं जा सकती है। हमारे पास जीवन रक्षक जैकेट भी नहीं थे लेकिन फिर भी हम 800 मीटर तैरते हुए आगे बढे़। विकट स्थितियों का सामना करना पड़ा। आर्मी की नावों पर फायरिंग हुई। किसी तरह से जवान नावों को बचाते हुए फंसे हुए लोगों तक बिना पानी वाले स्थानों पर पहुंचे। जवान दो ग्रुप में बंटकर कुछ दूरी पर खड़े हो जाएं। हमलोग काले कपड़ों से इशारे कर रहे थे। फिर उन महिलाओं तक पहुंचे और खाने- पीने के सामानों के साथ कुछ दवाइयां वहां पहुंचाईं। तब तक वहां हमारे लोगों ने इमारत पर मजबूत इंतजाम कर दिया था। यहां हेलिकॉप्टर उतारना आसान हो गया था। उस मुस्लिम फैमिली के पास राहत सामग्री पहुंचाने के बाद एक 84 साल की कश्मीरी पंडित महिला दिखीं। हमने उनके पास भी राहत सामग्री पहुंचाई।  कुछ लोगों ने अफवाह फैलाई कि भारत ने मदद से इंकार कर दिया है इसलिए पाकिस्तान ने उन्हें बचाने के लिए 80 हेलिकॉप्टर भेजे हैं।  ऐसे में बचाव कार्यो में लगे भारतीय  जवान जो वर्दी में नहीं थे, अपनी हंसी को किसी तरह छुपा रहे थे।’
प्रत्यदर्शियों के अनुसार, ‘एक स्थान पर पहुंचने के बाद एक बिना पतवार के एक नाव पड़ी थी। नाव को हाथ से चलाते हुए सैनिक सुबह पांच बजे लाल चौक के करीब एक्सचेंज रोड पहुंचे। जहां फंसी हुई महिलाएं के पास खाने पीने के लिए कुछ भी नहीं था। सेना के जवानों ने स्वयं भूखे रहकर भी जिस तरह दूसरों को भोजन दिया उसकी मिसाल मिलना मुश्किल ही नहीं असंभव भी है।’
प्राकृतिक आपदा पर राजनीति करने वाले लाख प्रयास करे लेकिन हर कश्मीरी के दिल में भारतीय सेना के बारे में यह राय सर्वसम्मति से बन चुकी है कि सेना ने पूरे मनोयोग से लोगों का साथ दिया है और उनकी मदद की है। इसने प्रभावित लोगों और परिवारों के लिए शुरुआत में ही राहत कार्याे को आरंभ कर दिया और फंसे हुए लोगों को निकालने अथवा घर खाली करने में काफी मदद दी। राहत कार्यों से भी बढ़ी चुनौती होगी पुनर्वास और पुनर्निर्माण की। जिन लोगों को राहत सामग्री नहीं मिल पा रही है उनका आक्रोश तो जायज हो सकता है लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि कुछ समाचार चैनल भी गलत दिशा मे ंजा रहे है।
आश्चर्य है कि एक ओर उमर अब्दुल्ला ने हर संभव मद के लिए अपनी राजनैतिक विरोधियों के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार का आभार व्यक्त किया तो दूसरी ओर कुछं नेताओं  दोषारोपण में लगे हैं। यह बहुत ही खराब किस्म की मानसिकता है। वे अलगाववादी नेता जो अब तक अपनी जान बचाने में लगे थे अब पानी के उतरते ही अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए लोगों को भड़काने का प्रयास कर रहे हें। कुछ स्थानों पर भारतीय सेना की मदद न लिए जाने की अपील के बैनर देखे गए है लेकिन कश्मीर का जनमानस उसकी पूरी तरह से उपेक्षा कर रहा है। पूरे देश से मिल रहे अपार स्नेह और सहयोग से अभिभूत हर कश्मीरी जान चुका है कि भारत ही उनकी जन्मभूमि, कर्मभूमि है। पाकिस्तान के इशारे पर कुछ लोग उनका वर्षों शोषण करते रहे हैं। अपनों तक का खून बहाते जिन्हें जरा भी सोच नहीं होती वे कश्मीर के आवाम के मित्र नहीं हो सकते।  सच ही कहा गया है- ‘मित्र की परीक्षा संकट में ही होती है।’- डा. विनोद बब्बर

कश्मीरः आपदा पर भारी राष्ट्रीय एकता की शक्ति-- डा. विनोद बब्बर कश्मीरः आपदा पर भारी राष्ट्रीय एकता की शक्ति-- डा. विनोद बब्बर Reviewed by rashtra kinkar on 00:51 Rating: 5

No comments