बहन,.....बहन नहीं रही


आज उसकी सूनी कलाई देख मैंने पूछ ही लिया, ‘क्या बात है गये नहीं बहन के पास राखी बंधवाने?’
उसने इंकार में सिर हिला दिया।
मैंने फिर पूछा, ‘क्या बात है? तबीयत तो ठीक है न तुम्हारी?’
‘जी, मैं तो ठीक हूं पर बहन.....!’
‘क्या हुआ बहन को?’
‘जी, बहन,.....बहन नहीं रही’
‘ओह! ये सब कैसे हुआ? अभी उसकी आयु तो बहुत कम भी थी।’
जी जहर फैल गया था’
‘ओह, बहुत बुरा हुआ। इलाज नहीं करवाया क्या?’
‘ जी, बहुत कोशिश की। जितना मुझ गरीब की हैसियत थी कोशिश करता था लेकिन.....।’!’
‘ओह! बहुत बुरा हुआ! पर यह हुआ कैसे?’
लगभग रूआसा होते हुए उसने कहा, ‘बाबू जी, ज्यादा पैसा आ गया था उसके पास.... तो ... तो बहन, बहन नहीं रही.....।’
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