सरदार पटेलः सच्चा आदमी, सच्ची बात



हिमतनगर गुजरात के प्रसिद्ध शिक्षा केन्द्र विद्यानगरी परिसर में भारतीय भाषा संवर्धन प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित संवाद ‘सरदार पटेलः सच्चा आदमी, सच्ची बात’ में गुजरात के प्रसिद्ध स्तम्भ लेखक डा.शरद ठाकर, राष्ट्र-किंकर संपादक डा. विनोद बब्बर ने लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से चर्चा करते हुए अनेक अल्पज्ञात ऐतिहासिक पहलुओं को प्रस्तुत किया। विशिष्ट अतिथि श्री डाया भाई पटेल, श्री नाटू भाई पटेल रहे तो कार्यक्रम की अध्यक्षता  क्षेत्रीय सांसद डा. महेंद्र सिंह चौहान ने की।
दीप प्रज्वल्लन के पश्चात  कार्यक्रम संयोजक डा. गौरांग स्वामी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि बेशक आज न तो सरदार पटेल की जयंती है और न ही पुण्यतिथि लेकिन सरदार पटेल के प्रति देश के जन-जन में जो श्रद्धा है उसे देखते हुए हर दिन भारत की एकता, अखंडता में सरदार के योगदान को नमन करने का उत्सव है।
चर्चा आरंभ करते हुए डा.शरद ठाकर ने हैदराबाद के निजाम की धमकी, भारत विलय के बाद प्रधानमंत्री के स्वागत से इंकार पर पटेल द्वारा ‘देश के प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा का प्रश्न है!’ कहे जाने पर निजाम का नेहरू का स्वागत करना, पटेल की सादगी, लार्ड माडंटबेटन द्वारा पटेल को बातचात के आरंभ में ही अंत को भांप लेने वाला ‘डेंजरस डिपलोमैट’ बताने जैसे प्रसंगों की चर्चा की।
विनोद बब्बर ने पूर्व विदेश सचिव की पुस्तक ‘फारेन पालिसी राजा राममोहन राय टू सिंहा’ में प्रकाशित पटेल द्वारा नवम्बर, 1950 को लिखित पत्र प्रदर्शित करते हुए पटेल को अत्यंत दूरदर्शी बताया जिसने नेहरू को चीन द्वारा तिब्बत को हडपने की तैयारी के प्रति सावधान किया था। पटेल ने उस पत्र में सीमाओं की सुरक्षा और गुप्तचर व्यवस्था मजबूत करने, सेना को आधुनिक बनाने, यातायात, संचार, वायरलैंस, पूर्वोत्तर राज्यों की ओर विशेष ध्यान देने पर बल दिा था। इतिहास साक्षी है कि पटेल की चेतावनी की ओर ध्यान न देना हमें महंगा पड़ा। श्री विनोद बब्बर ने सरदार के थैले की चर्चा करते हुए कहा, ‘जब वे लौटते थे तो लोग पूछते थे- आज कितनी रियासते हैं इस थैले में लेकिन के नेताओं के थैले भ्रष्टाचार से अर्जित धन से भरे है, जो विदेशी बैंकों में जाते है।’ श्रोताओं की जोरदार करतल ध्वनि के बीच उन्होंने गुजरात 800 फीट ऊंची मूर्ति बनाने का स्वागत करते हुए कहा- ‘कश्मीर की जवाहर टनल से 500 मील उस पार वल्लभ टनल के पास सरदार की मूर्ति बने भी अखंड भारत का सरदार का स्वप्न साकार हो सकता है।’ पटेल की भीष्म से तुलना करते हुए उनका कथन रहा- यदि भीष्म प्रतीज्ञाबद्ध न होते तो महाभारत न होता और यदि पटेल को महात्मा गांधी न रोकते तो देश का इतिहास ही नहीं भूगोल भी कुछ और ही होता।
इसी समारोह में डा.मनुबेन पटेल द्वारा हिंदी से गुजराती में अनुवादित फाटला कोट, डा. नजमा शेख (आधुनिक साहित्य में नारी), डा. मंजु खेर (भारतीय नारी), डा. प्रेमजी पटेल (विवेचन तरफ), डा. निर्मल वालिया की तीन पुस्तकों (एक खत, पैगाम और गुरु प्रकाश) तथा कार्यक्रम संयोजक डा. गौरांग स्वामी द्वारा संपादित ‘विनोद बब्बर की प्रतिनिाि कहानियां’ का लोकार्पण तथा साबरकाठा जिले के श्रेष्ठ अध्यापकों श्री कल्पेश पटेल और श्री प्रकाश वैद्य को कविवर उमाशंकर शिक्षक सम्मान प्रदान किया गया। शूट एण्ड शूट अकादमी दिल्ली के निदेशक श्री श्याम प्रसाद को भी सम्मानित किया गया। प्रधानाचार्य श्री अरविंद पटेल ने आभार व्यक्त किया।
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