प्रेरणा की तलाश Where is Motovation
उच्चाधिकारी मित्र ने क्षेत्र के पिछड़ेपन का कारण पूछा तो मैंने कहा था- ‘प्रेरणा गायब है।’ वे बहुत संवेदनशील थे इसलिए उन्होंने एक इंस्पेक्टर की जिम्मेवारी दी कि प्रेरणा का पता लगाये। अपनी कार्य शैली के अनुरूप उसने फाइल तैयार करनी शुरु की। सबसे पहले प्रश्नावली बनाई- प्रेरणा का हुलिया, संभव हो तो उसका रंगीन चित्र, पृष्ठभूमि, निवास स्थान, भाषा कौन सी बोलती है, करती क्या है, क्या लेन-देन, जो अंतिम बार उससे मिला हो उसका नाम पता।
जरूरी होम वर्क करके वह प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए अपने उच्च अधिकारी से मिला। प्रश्नावली पूरी करने के लिए मुझे बुलाया क्योंकि ‘जो बोले हीं कुंडा खोले’ का प्रचलन है।
इंस्पेक्टर साहब ने प्रेरणा के हुलिया के बारे में पूछा तो मेरा जवाब था- देखने में साधारण परंतु उसमें जबरस्त शक्ति है, सम्मोहन है। चाहे तो कुछ भी करवा सकती है।
‘वह जादूगर है या छलिया?’
‘छलिया तो नहीं लेकिन सम्मोहन जैसा कुछ जादू जरूर है।’
‘क्या उसका कोई चित्र है आपके पास?’
‘उसका चित्र तो नहीं है।’
‘ओके, उसका रंग-रूप कैसा है?’
‘दूर से तो सांवली ही दिखती है परंतु जब पास आती है तो आकर्षक लगती है।’
‘उसका रहन-सहन?’
‘रहन-सहन न पूछो साहिब। खुद कष्ट में रह कर भी दूसरो के दुख करती है।’
‘तो क्या वह संत- फकीर है?’
‘पहनावे से तो नहीं है पर दिल से हो सकती है।’
‘कहाँ की रहने वाली है? आई मीन टू से उसका नैटिव प्लेस कौन सा है।’
‘कोई निश्चित नहीं है। कभी पहाड़ पर तो कभी समुंद्र, कभी रेगिस्तान, कभी नदी किनारे तो कभी टूटी झोपड़ी। कभी सड़क किनारे।’
‘ओह, अच्छा अंतिम बार उससे कहां देखा गया था और किसने देखा था?’
‘एक नहीं, ऐसे अनेक लोग है जिनसे वह मिली थी। शायद लाखो से।’
‘लाखो से एक साथ? क्या वो नेता है? फिर तो उसके भाषण की सीड़ी होगी। उसकी आवाज से कुछ पता लगो की कोशिश करता हूं।’
‘जी नहीं, वह नेता नहीं है परंतु जिसे वह मिलती है वह नेता भी बन सकता है। आवाज का क्या बताये साहब, उसके तो इशारे ही है।’
‘इट मीन, वह गूंगी है। ओके भाषा कौन सी समझती है।’
‘भाषा? उसकी तो अपनी ही भाषा है इसीलिए हर कोई उसे समझ ही नहीं पाता।’
‘करती क्या है?’
‘करती नहीं, कराती है। जो काम कोई न कर सके उसे वह चुटकियों में करा देती है।’
‘हंू, तो इसका मतलब है कि वह मैनेजर है। वह आती किस तरफ से है?’
‘आने का न पूछो साहब। कुछ निश्चित नहीं है। कभी गुड खा कर आती है तो कभी ठोकर खाकर। आ जाये तो पल में आ जाती है। और न आये तो सारा जीवन न आये। कुछ के तो पास से गुजर जाती हे पर उसके पास नहीं आती।’
‘क्या बकवास है? प्रेरणा है या पहेली? दिमाग खराब कर दिया। साहब ने भी न जाने किस चक्कर में उलझा दिया। ‘नो ट्रेस’ की रिपोर्ट लगाकर इस फाइल को क्लोज करके कान पकड़ता हूं कि आज के बाद ऐसा केस कभी हाथ में नहीं लूंगा।’
‘साहब, आपने कुछ देर पहले कहा था कि वह जिससे मिली हो उसका नाम बताओं। मैने महसूस किया कि कुछ क्षण पहले वह आपको मिली थी। अब तो कुछ कीजिये।’
‘मुझसे मिली थी? क्यों दिमाग खराब कर रहे हो।’
‘आपने यह क्यों कहा था-आज के बाद ऐसा केस कभी हाथ में नहीं लूंगा।’
‘ठीक ही तो कहा था। जिसका न पता, न ठिकाना, न हुलिया, न तस्वीर। कोई भी सुराग नहीं। ऐसे केस में पड़ने का मतलब है टाईम खराब करना,, रिकार्ड खराब कराना। इज्जत खराब कराना।’
‘तो बस साहब, जो आपको उलझा कर सीख दे गई वही प्रेरणा है।’
सच ही है प्रेरणा का अपना अंदाज है। पर उसकी जरूरत बार- बार पड़ती है। याद है ‘तीसरी कसम’ में हीरो बैलगाड़ी चलाता था। उसे बम्बू लाद कर प्रेरणा मिल गई थी। कसम खाने के बाद भी गलतियां करके प्रेरणा पाता रहा, कसमें खाता रहा। कसमें तो शायद उसने भी अनगिनत खाई होंगी पर तीन घंटें में तीन से अधिक कसमें दिखा ना ही पर्याप्त होता है। वैसे हम तो रोज प्रेरणा पाते हैं, मन ही मन मुसकाते है और कुछ देर बाद उसे वहीं छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं नई प्रेरणा की खोज में नई गलतियां करने के लिए। वैसे एक बात जरूर है कि वीआईपी होते हुए भी आप उससे अप्वाईटमेंट लेकर नहीं मिल सकते। क्योंकि वह खासों-आम सबसे मिलती है। बहुत मूल्यवान होते हुए भी बहुत सरलता से मिलने वाली प्रेरणा कभी भी, कहीं भी मिल सकती है।
प्रेरणा राजमहल के छप्पन भोग में मिले या न मिले लेकिन राणा को घास की रोटी में मिली थी। ब्रू को मकड़ी के जाले में मिली थी। एडिसन को बटन के टूटे धागे में मिली थी। भामाशाह को अपने देश धर्म के प्रति कर्तव्यबोध से मिली थी इसीलिए तो अपना सारा खजाना देकर भी वह दुनिया का सबसे धनवान हो गया कि सदियों बाद भी हम उसके दिल की दौलत, उसके राष्ट्र धर्म के सामने स्वयं को बहुत गरीब पाते हैं। ऐसे असंख्य उदाहरण है। मैं-आप- हम सभी अपने अपने परिवेश की प्रेरणाओं से ग्रहण कर हर वसंत औ पतझड़ को झेलते रहे है और झेलते रहेंगे। पौष कड़कड़ी जमा देने वाली सर्दी में खेत में हमारे अन्नदाता किसान हो या सीमा पर जवान, वे प्रेरणाओ से प्रेरित होकर पूरे उत्साह से तैनात रहते हैं तो वे स्वयं प्रेरणा बन जाते हैं क्योंकि प्रेरणा ऐसा पारस है जो भी उसे स्पश्र करें वह हृदय कंचन कानन हो जाता है तो जो उसे शुद्ध अंतकरण से धारण करता है वह खुद में पारस बन जाता है।
प्रेरणा जंगल में मंगल करती है। समुंद्र ही गहराई को नापते हुए उसके गर्भ से असंख्य कीमती मोती रूपी खजाने निकालती है। जीव को मनुष्य, मनुष्य को नायक और विशिष्ट नायक को विनायक बनाती है। महावीर बजरंगी को महावीर स्वामी से जोड़ती है। शिक्षकों को संतों से जोड़ती है। संतों की चरण रज से मेरे जैसे अधम को जोड़ने वाली उस अव्यक्त, अदृश्य प्रेरणा को नमन!
मेवाड की धरती का कण-कण प्रेरणा देता है। राष्ट्र धर्म और स्वाभिमान के अन्यतम महानायक राणा प्रताप से प्रेरणा भी प्रेरणा पाती है। त्याग की प्रतिमूर्ति महारानी कर्मवती प्रेरणा पुंज है। भक्ति की प्रकाष्ठा मीरा प्रेरणाओं की प्रेरणा है। प्रेरणा ओ की इस अंतहीन सूत्री का वर्तमान है विनायक विद्यापीठ। जिसके पत्थर भी महाराज शिवदान की कलात्मकता की दास्तां कहते है। ये सामने खड़े स्वामी विवेकानंद जी महाराज साहब की कला का वह अमर तत्व है जिसमंे देवेन्द्र जी का दिल नहीं, आत्मा बसती है। आत्मा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि दिलों का मिलना बहुत बड़ी बात नहीं है। अक्सर छोटी सी बात पर मिल जाने वाले दिलों के मिलन में अमरता नहीं होती। क्योंकि दिल अक्सर भर जाया करते हैं लेकिन आत्मा न भरती है और न ही मरती है।
और हाँ, हर सूर्यादय प्रेरणा है- ‘कल को पीछे छोड़कर, आज पूरे उत्साह के साथ अपने उष्मा और प्रकाश बांटों।’ लेकिन इसका अर्थ यह भी नहीं कि अस्ताचल की ओर बढ़ते थके हुए सूर्यदेव प्रेरणाओं से विहीन है। ध्यान से देखो उनकी लालिमा को जो प्रेरणा दे रही है- ‘अंतिम क्षण तक प्रयास करों। तभी तो
प्रेरणाओं का प्रकाश इस जगत में अनंत काल तक रहेगा। बिन प्रकाश के किसी पर्व, किसी उत्सव का कोई अर्थ नहीं होता। प्रेरणा सेे जीवन में जीवान्तता रहती है। जीवन में प्रेरणा और प्रकाश है तो उत्सव है, वरना जीवन शव है।
प्रेरणा ग्रहण करने अथवा प्रदान करने के लिए़ ‘मेला’ जरुरी है, यह काम अकेला भी कर सकता है। चलते-चलते-
चलना मुझे को, अकेला ही चलने दो,
चलते-चलते काफिला हो जाऊंगा!
रोका गया मुझको जो दोस्तो,
घुट-घुट ना पता हो जाऊंगा!
विनायक विद्यापीठ, भूणास, जिला भीलवाड़ा राजस्थान में विनोद बब्बर द्वारा 25 दिसम्बर, 2016 को आयोजित प्रेरणा-पर्व में दिया गया व्याख्यान
संपर्क- 09868211911, 7892170 421 rashtrakinkar@gmail.com
प्रेरणा की तलाश Where is Motovation
Reviewed by rashtra kinkar
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